पेगासस – हर बार राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर छूट नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले में केन्द्र सरकार को दोटूक जवाब देते हुए विशेषज्ञों की जांच कमेटी गठित कर दी। कमेटी रिटायर्ड जस्टिस आर वी रवींद्रन की अध्यक्षता में काम करेगी। कमेटी से पेगासस से जुड़े आरोपों की तेजी से जांच कर जल्द रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। अब 8 हफ्ते बाद इस मामले में फिर सुनवाई की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने उस अर्जी को खारिज कर दिया है, जिसमें सरकार ने अपना विशेषज्ञ पैनल बनाने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा, सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा की सिर्फ बात करने से अदालत मूकदर्शक नहीं बनी रह सकती। राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा उठाने पर सरकार को हर बार छूट नहीं दी जा सकती। अदालत ने यह टिप्पणी उस समय की, जबकेंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर अपने हलफनामे में ज्यादा डिटेल देने से इनकार कर दिया।

कोर्ट ने ये भी कहा है कि देश के हर नागरिक की निजता की रक्षा होनी चाहिए। इस मामले में केंद्र ने जो सीमित हलफनामा दिया है, वह साफ और पर्याप्त नहीं है। हमने सरकार को विस्तृत ब्यौरा देने का पर्याप्त मौका दिया, लेकिन बार-बार कहने के बावजूद उन्होंने हलफनामे में स्थिति साफ नहीं कि अब तक क्या-क्या कार्रवाई की गई है। अगर वे स्पष्ट कर देते तो हमारा बोझ कम हो जाता।

पेगासस मामले की 3 सदस्यीय जांच कमेटी में पूर्व आईपीएसअफसर आलोक जोशी और इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ स्टैंडर्डाइजेशन सब-कमेटी के चेयरमैन डॉ. संदीप ओबेरॉय भी शामिल किए गए हैं। इसके साथ ही तीन सदस्यीय तकनीकी कमेटी भी बनाई गई है। इसमें साइबर सिक्योरिटी और डिजिटल फोरेंसिंक के प्रोफेसर डॉ. नवीन कुमार चौधरी, इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डॉ. प्रभाकरन पी और कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अश्विन अनिल गुमस्ते के नाम हैं।

पेगासस मामले में कई पत्रकारों और एक्टिविस्ट ने अर्जियां दायर की थीं। इनकी मांग थी कि सुप्रीम कोर्ट जज की निगरानी में जांच करवाई जाए। अर्जी देने वालों ने ये भी कहा था कि मिलिट्री ग्रेड के स्पाइवेयर से जासूसी करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है। पत्रकारों, डॉक्टर्स, वकील, एक्टिविस्ट, मंत्रियों और विपक्षी दलों के नेताओं के फोन हैक करना बोलने की आजादी के अधिकार से समझौता करना है।

खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय ग्रुप का दावा है कि इजराइली कंपनी एनएसओके जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से 10 देशों में 50 हजार लोगों की जासूसी हुई। भारत में भी 300 नाम सामने आए हैं, जिनके फोन की निगरानी की गई। इनमें सरकार में शामिल मंत्री, विपक्ष के नेता, पत्रकार, वकील, जज, कारोबारी, अफसर, वैज्ञानिक और एक्टिविस्ट शामिल हैं।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.