पेगासस जासूसी कांड की जांच चाहने इस मामले में सहयोग करने को कोई तैयार नहीं है। जांच कर रही सुप्रीम कोर्ट की टेक्निकल कमेटी के पास केवल 2 ही लोगों ने अपने फोन जमा किए हैं। अब कमेटी ने एक बार फिर पब्लिक नोटिस जारी किया है। गुरुवार को जारी इस नोटिस में कमेटी ने इस मामले से जुड़े लोगों को 8 फरवरी 2022 तक अपने फोन जमा कराने के लिए कहा है।
सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने इससे पहले गत 2 जनवरी को भी नोटिस जारी किया था। उस नोटिस में कहा गया था कि जिन भी लोगों को लगता है कि उनके फोन पेगासस के जरिए हैक किए गए हैं, वो अपने फोन सॉफ्टवेयर जांच के लिए कमेटी के पास जमा करा दें। गुरुवार को जारी नोटिस में कमेटी ने बताया है कि पहले नोटिस के बाद केवल 2 लोगों ने ही फोन जमा कराए हैं।
एमएल शर्मा नाम के एक एडवोकेट ने 30 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट को आधार बनाया गया था। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि मोदी सरकार ने 2017 में एक डिफेंस डील के तहत इजराइली स्पाइवेयर पेगासस खरीदा था। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई थी कि इस डिफेंस डील की जांच की जाए।
पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर 2021 को एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन को इसका अध्यक्ष बनाया गया है। कमेटी गठित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हर किसी की प्राइवेसी की रक्षा होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि केंद्र ने अपने जवाब में पेगासस के इस्तेमाल से इनकार नहीं किया है, इसलिए हमारे पास याचिकाकर्ता की याचिका मंजूर करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान केंद्र सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा के तर्क की निंदा की थी। कोर्ट ने कहा था कि केंद्र हर मुद्दे को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा बताकर मुक्त नहीं हो सकता है।
