
यूक्रेन से लौटे छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। जिसमें उन्होंने मांग की है कि उन्हें भारत में कोर्स पूरा करने की अनुमति दी जाए। याचिका पार्थवी आहूजा और प्राप्ति सिंह ने लगाई है। उनका तर्क है कि मौजूदा हालातमें उनकी पढ़ाई पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं।ऐसे में उनकी समस्या का समाधान भारत के शिक्षा सिस्टम के अनुसार मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने की अनुमति देकर किया जा सकता है।
इस याचिका को दायर करने के एक बड़ा कारण एनएमसी का वो सर्कुलर है जिसमें जारी नियम से एमबीबीएसकी पढ़ाई बीच में छोड़कर आए छात्रों को कोई फायदा नहीं मिलेगा। केवल उन्हीं छात्रों को फायदा होगा जिनकी एमबीबीएसकी पढ़ाई पूरी हो चुकी है।
यूक्रेन से 17400 से ज्यादा लोग भारत लाए जा चुके हैं। इसमें अधिकांश यूक्रेन में एमबीबीएसकी पढ़ाई कर रहे थे। इनमें से बहुत ही कम ऐसे छात्र है जिनकी एमबीबीएसकी पढ़ाई पूरी हुई है। भारत लौट रहे ऐसे छात्रों के लिए राज्य सरकारों ने भी केन्द्र सरकार से मांग की है कि इन छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इनकी मेडिकल की अधूरी पढ़ाई को आगे जारी रखने की कोई विशेष व्यवस्था की जाए। एनएमसीने 4 मार्च को एक सर्कुलर जारी किया, जिसमें बाहर से आए स्टूडेंट्स के लिए कुछ नियम लागू किए है, लेकिन इन नियमों से केवल उन्हीं छात्रों को फायदा होगा जो एमबीबीएसकी पढ़ाई पूरी कर चुके है।
राजस्थान मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. मनीष शर्मा ने बताया कि एनएमसीने केवल उन्हीं छात्रों को इंटर्नशिप करने की छूट दी है जो यूक्रेन में नहीं कर पाए। जिन बच्चों की एमबीबीएसयूक्रेन में पूरी हो चुकी है और वे इंटर्नशिप नहीं कर पाए या अधूरी रह गई उन्हें भारत में इंटर्नशिप करने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि ऐसे छात्रों को फोरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (एफएमजीई) पास करना जरूरी होगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में नियम है कि विदेश से एमबीबीएसकी पढ़ाई करके भारत आने वाले स्टूडेंट को एक साल का इंटर्नशिप करनी जरूरी होती है।