आईपीएल के 15वें सीजन की 26 मार्च से शुरुआत होने से पहले बीसीसीआई ने टूर्नामेंट के कुछ नियम बदल दिए हैं। इन बदलाव में टीमों की प्लेइंग इलेवन से लेकर डीआरएस तक से जुड़े नियम शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार किसी टीम में अगर कोरोना से जुड़े मामले सामने आते हैं, तो उसकी प्लेइंग एकादश में बदलाव किया जा सकता है।
अगर टीम प्लेइंग-XI तैयार नहीं कर पाती है, तो उस मैच को बाद में फिर से शेड्यूल किया जाएगा। अगर बाद में भी मैच नहीं हो पाता है तो मामले को तकनीकी समिति के पास भेजा जाएगा।
बोर्ड के अधिकारी ने कहा, अगर कोरोना के कारण मैच के लिए कोई टीम 12 खिलाड़ी (जिसमें 7 भारतीय हों) और एक सबस्टिट्यूट के साथ मैदान में उतरने में असमर्थ होती है, तो बीसीसीआई सीजन के बीच में मैच दोबारा आयोजित करने का प्रयास करेगा। अगर ये भी संभव नहीं होता है, तो इस मामले को आईपीएल की तकनीकी कमेटी को भेजा जाएगा, जिसका फैसला अंतिम होगा।
आईपीएल में अब तक नियम था कि यदि मैच दोबारा शेड्यूल करने के बाद भी पूरा नहीं होता है, तो पीछे रहने वाली टीम को हारा हुआ मानकर दूसरी टीम को दो पॉइंट्स दिए जाएंगे। एक अन्य बदलाव के तहत अब हर पारी में टीमों को एक की बजाय दो डीआरएस मिलेंगे, यानी मैच में टीम 4 डीआरएस ले पाएगी। साथ ही बोर्ड ने हाल ही में मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) की ओर से बदले गए कैच के नियम को भी टूर्नामेंट में लागू करने का फैसला किया है। एमसीसी के नए नियम के अनुसार अगर कोई भी बल्लेबाज कैच आउट होता है, तो स्ट्राइक बदली हुई नहीं मानी जाएगी और नया बल्लेबाज ही स्ट्राइक पर आएगा। अगर कैच ओवर की आखिरी गेंद पर होता है, तो स्ट्राइक बदली जाएगी।
प्लेऑफ और फाइनल में टाई-ब्रेकर के नियम को भी बदला गया है। अगर किसी प्लेऑफ या फाइनल मैच में मुकाबला टाई होने के बाद सुपर ओवर नहीं हो पाता, या सुपर ओवर के बाद जरूरत पड़ने पर अगला सुपर ओवर नहीं हो पाता है, तो मैच के विजेता का फैसला लीग स्टेज में दोनों टीमों के नतीजों के आधार पर किया जाएगा। मतलब जो टीम लीग स्टेज में अपनी विपक्षी से ऊपर रही होगी, उसे विजेता माना जाएगा।
