तेल कंपनियों ने थोक में डीजल की खरीदी पर 25 रुपए प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी कर दी है। यह कदम पेट्रोल-डीजल पर हो रहे घाटे को कम करने के लिए उठाया गया है। सूत्र के अनुसार ये बढ़ोतरी सिर्फ थोक खरीदारों जैसे बस ऑपरेटरों और मॉल आदि में उपयोग के लिए खरीदे जाने वाले डीजल पर की गई है। खुदरा दाम में बढ़ोतरी नहीं की गई है।
तेल कंपनियों के अनुसार लगातार पांचवें महीने पेट्रोल पंपों पर बिक्री बढ़ गई है। इसकी वजह यह है कि सस्ते डीजल के लिए बस ऑपरेटरों और मॉल जैसे थोक खरीदार भी पेट्रोलियम कंपनियों से सीधे टैंकर बुक करने की बजाय पंप (फ्यूल डीलर) से डीजल खरीद रहे हैं। इससे पेट्रोलियम कंपनियों का नुकसान और बढ़ा है। इस नुकसान से निपटने के लिए कंपनियां अपने स्तर पर प्रयास कर रही हैं।
भले ही सरकार ये कहती हो कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर अब उसका कंट्रोल नहीं है, लेकिन यह देखा जाता है कि चुनाव के दौरान पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ते हैं। हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म हुए हैं। वहीं इस साल के आखिर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं। इसके बाद 2023 में राजस्थान और मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में चुनाव हैं। ऐसे में सरकार महंगाई के मोर्चे पर खुद को नाकाम होने से बचाने के लिए पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होने दे रही। इससे तेल कंपनियों को नुकसान हो रहा है।

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