बॉम्बे हाईकोर्ट की की औरंगाबाद बेंच ने एक महिला को आदेश दिया है कि वो अपने पूर्व पति को हर महीने गुजारा भत्ता दे। इस प्रकार हाईकोर्ट ने नांदेड़ की निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें एक महिला को अपने पूर्व पति को 3,000 रुपये हर महीने गुजरा भत्ता देने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही जिस स्कूल में महिला पढ़ाती है, उस स्कूल को भी महिला के वेतन से हर महीने 5 हजार रुपये काटने और उसे अदालत में जमा करने का निर्देश दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि महिला के पूर्व पति की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।
इस महिला को वर्ष 2017 में नांदेड़ में सेकंड जॉइंट सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने उसके पूर्व पति को गुजारा भत्ता देने की बात कही थी, लेकिन महिला ने ऐसा नहीं किया। इस दौरान कोर्ट ने महिला की उस दलील को भी खारिज कर दिया, जिसमें उसने कहा था कि उसका पति से तलाक काफी समय पहले ही हो चुका है।
महिला ने औरंगाबाद हाईकोर्ट में अपील की। उसने बताया कि उसकी शादी वर्ष 1992 में हुई थी, लेकिन कुछ समय बाद ही तलाक हो गया। वर्ष 2015 में महिला और उसके पति के साथ उसका तलाक हुआ था। महिला ने बताया कि कोर्ट ने उसके तलाक को मंजूर कर लिया था। इसपर कोर्ट ने पति की तरफ से हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 25 का हवाला दिया और कहा कि पति की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया जा सकता है। ये उनके बीच तलाक से प्रभावित नहीं होता है।
हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 24 और 25 के तहत अगर पति या पत्नी में से किसी एक की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और दूसरे की स्थिति ठीक है तो पहला पक्ष गुजारे भत्ते की मांग कर सकता है।
