
10 अप्रैल को रामनवमी पर गुजरात के तीन जिलों हिम्मतनगर, खंभात और द्वारका में दो समुदाय के बीच हुए दंगों के बाद सोमवार की देर रात फिर हिम्मतनगर के वंजारावास इलाके में दंगा भड़क उठा। दंगाईयों ने दूसरे समुदाय के लोगों के घरों को निशाना बनाया।
इससे पहले पुलिस ने शांति समिति की बैठक करके दोनों समुदायों से शांति की अपील की थी। इसके बाद भी दंगाइयों ने एक खास समुदाय के लोगों के घरों में पेट्रोल बम और पत्थर फेंके।नतीजा दर्जनों परिवार अपनी जान बचाने के लिए पलायन करने को मजबूर हो गए। वंजारावास इलाके के लोगों का कहना है कि पुलिस ने उन्हें घर से बाहर न निकलने की हिदायत दी थी। लेकिनसोमवार देर रात उनकी बस्ती पर हमला हुआ। घरों में तोड़फोड़ की गई और सामान चोरी कर लिया गया। रात में चांदनगर और हसननगर के लोगों ने उन पर हमला किया था। दंगाइयों ने उनके घरों पर पेट्रोल-बम फेंके, जिससे दो घरों में आग भी लग गई थी। पुलिस टीम के पहुंचने तक हमलावर फरार हो गए थे।
हिम्मतनगर में रामनवमी के जुलूस पर पथराव के बाद पुलिस, आरएएफऔर एसआरपीकी तैनाती कर दी गई थी। स्थिति की जांच करने और दंगे रोकने के लिए जिला पुलिस प्रमुख और कलेक्टर की अध्यक्षता में सोमवार शाम को शांति समिति की बैठक भी हुई थी। मगरशांति समिति की बैठक के पांच घंटे बाद ही देर रात हिम्मतनगर के वंजारावास में हमला हो गया।फिलहाल, इलाके में पुलिस के कड़े बंदोबस्त कर दिए गए हैं। सीसीटीवीफुटेज और अन्य साधनों से उन लोगों की तलाश की जा रही है, जिन्होंने रात में बस्ती पर हमला किया था। अब तक करीब 15 संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है।
साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर कस्बे में रामनवमी के दिन शोभायात्रा निकाली गई थी। इसी दौरान हसननगर दरगाह के पास जुलूस में लाउडस्पीकर बजाने को लेकर दोनों पक्षों में बहस हो गई थी। बहस हिंसा में तब्दील हो गई और दोनों समुदायों के लोगों में पथराव और मारपीट होने लगी। बाद में गाड़ियां और दुकानें भी जला दी गईं। इस घटना में दस से ज्यादा पुलिस वाले भी घायल हुए थे।