
9 साल बाद एआईसीसी (ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी) एक बार फिर राजस्थान में राष्ट्रीय चिंतन शिविर करेगी। उदयपुर में 14 से 16 मई तक यह शिविर होगा। शिविर में सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका गांधी शामिल होंगी। इसके लिए कांग्रेस ने तैयारियां शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एकबार उदयपुर का दौरा कर चुके हैं। 22-23 अप्रैल को वह फिर उदयपुर जा सकते हैं।
चिंतन शिविर के पीछे बड़ी वजह गुजरात विधानसभा चुनाव हैं। साथ ही पांच राज्यों में मिली हार पर भी मंथन होगा। पिछली सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में यह तय हो गया था कि कांग्रेस का अगला शिविर राजस्थान में होगा। इससे पहले जनवरी 2013 में जयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर हुआ था। प्रस्तावित शिविर पार्टी में प्रशांत किशोर (पीके) की रणनिति पर भी विचार हो सकता है। पीके की कांग्रेस में भावी भूमिका के लिहाज से भी यह शिविर महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
गुजरात विधानसभा चुनाव का प्रभारी राजस्थान के पूर्व चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को बनाया गया है। यह लगातार दूसरा मौका है, जब राजस्थान का नेता गुजरात चुनाव की जिम्मेदारी संभाल रहा है। इससे पहले 2017 के चुनाव में खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुजरात के प्रभारी थे। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था। हालांकि सरकार बनाने जितनी सीटें कांग्रेस नहीं ला सकी थी। इस बार रघु शर्मा को जिम्मेदारी दी गई है। इसके लिए उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ाहै।
इस चुनाव में रघु शर्मा गुजरात के प्रभारी जरूर हैं। मगर मुख्य रणनीतिकार की भूमिका में गहलोत ही रह सकते हैं। वरिष्ठ नेता होने और गुजरात में पकड़ रखने के चलते गहलोत का इन चुनावों में बड़ा दखल रहेगा। उसी के चलते उदयपुर में शिविर किया जा रहा है। सीडब्ल्यूसी सदस्य रघुवीर मीणा भी इस शिविर की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। मीणा ने कहा कि हमने उदयपुर में शिविर कराने का प्रस्ताव रखा था।, जिसे पार्टी ने स्वीकारा।
चिंतन शिविर में सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका के साथ ही कांग्रेस की वर्किंग कमेटी के सभी सदस्य भी मौजूद रहेंगे। शिविर में उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में मिली हार पर भी मंथन होगा। इसके अलावा इस साल गुजरात चुनाव और अगले साल होने वाले राजस्थान सहित 4 राज्यों में चुनाव पर फोकस रहेगा। शिविर में चुनाव की रणनीति और जिम्मेदारियों पर भी फोकस रह सकता है।
अशोक गहलोत की अगुवाई में गुजरात में 2017 विधानसभा चुनाव कांग्रेस जीती नहीं थी। मगर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर हुआ था। 2017 के चुनाव में कांग्रेस को 77 और भाजपा को 99 सीट मिली थी। कांग्रेस की 2012 के मुकाबले 16 सीटें ज्यादा आई थी, जबकि भाजपा की 16 सीटें कम हुई थी। कांग्रेस का वोट प्रतिशत 41.4 प्रतिशत था। यह 2012 के मुकाबले 2.5 प्रतिशत बढ़ा था।