
देश भर में गर्मी का कहर जारी है, ऐसे में यूपी, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु समेत कई राज्यों को कोयले की कमी के चलते भारी बिजली संकट से भी गुजरनापड़ रहा है। इसी बीच यूपी में बिजली आपूर्ति बनाए रखने में मदद के लिए केंद्र सरकार ने 657 पैसेंजर ट्रेनों को रद्द करने का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि इन गाड़ियों को इसलिए रद्द किया गया, ताकि थर्मल पावर स्टेशनों के लिए सप्लाई किए जा रहे कोयले से लदी माल गाड़ियों को आसानी से रास्ता दिया जा सके और समय से कोयला पहुंच सके।
भीषण गर्मी में देश के एक चौथाई पावर प्लांट बंद हैं। 16 राज्यों में 10 घंटे तक के बिजली कटौती शुरू हो गई है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसारदेशभर में 10 हजार मेगावॉट, यानी 15 करोड़ यूनिट की कटौती हो रही है, लेकिन बिजली की कमी वास्तव में कहीं ज्यादा है। इस बीच रेलवे ने पावर प्लांट्स तक कोयले की तेजी से सप्लाई के लिए कुल 657ट्रेनों को अनिश्चित काल के लिए कैंसिल कर दिया है, ताकि कोयला ले जा रही मालगाड़ियां समय पर निर्धारित स्टेशनों पर पहुंच सकें।
भारतीय रेलवे के कार्यकारी निदेशक गौरव कृष्ण बंसल के अनुसार पैसेंजर ट्रेनों को रद्द करने का फैसला अस्थायी है। स्थिति सामान्य होते ही सेवाएं वापस शुरू कर दी जाएंगी। इस फैसले के बाद रेलवे अपने बेड़े में एक लाख और वैगन जोड़ने जा रहा है। इसके अलावा रेलवे माल को तेजी से पहुंचाने के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर्स भी बना रहा है।अस्थायी रूप से रद्द की गईट्रेनों में लंबी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के 670 फेरे शामिल हैं। इसके साथ ही रेलवे ने कोल रैक्स की एवरेज डेली लोडिंग भी 400 से ज्यादा कर दी है। यह आंकड़ा पिछले 5 साल में सबसे ज्यादा है। रेलवे प्रति दिन 415 कोल रैक्स की ढुलाई कर रहा है, ताकि कोयले की मौजूदा मांग को पूरा किया जा सके। इनमें से हर एक कोल रैक में 3500 टन कोयला होता है।
ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक देश के 18 पिटहेट प्लांट यानी ऐसे बिजलीघर, जो कोयला खदानों के मुहाने पर ही हैं, उनमें तय मानक का 78 फीसदीकोयला है, जबकि दूर दराज के 147 बिजलीघर (नॉन-पिटहेट प्लांट) में मानक का औसतन 25 फीसदीकोयला उपलब्ध है। यदि इन बिजलीघरों के पास कोयला स्टॉक तय मानक के अनुरूप100 फीसदीहोता तो पिटहेट प्लांट 17 दिन और नॉन-पिटहेट प्लांट्स 26 दिन चल सकते हैं।
देश के कुल 173 पावर प्लांट्स में से 106 प्लांट्स में कोयला शून्य से लेकर 25 पीसदीके बीच ही है। कोयला प्लांट बिजली उत्पादन को कोयले के स्टॉक के मुताबिक शेड्यूल करते हैं। स्टॉक पूरा हो तो उत्पादन भी पूरा होता है।