सुप्रीम कोर्ट ने आखिर देश की न्याय प्रणाली में भी राजनीति दखल का इशारा कर ही दिया। कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर सीट से विधायक मोहम्मद आजम खां की जमानत पर फैसला न आने पर नाराजगी जताई। जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से पूछा कि 87 में से 86 मामलों में आजम खां को जमानत मिल चुकी है, सिर्फ एक मामले के लिए इतना लंबा वक्त क्यों लग रहा है?
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि 137 दिन बाद भी फैसला क्यों नहीं हो पाया है? यह न्याय का माखौल उड़ाना है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर इलाहाबाद हाईकोर्ट इस मामले में फैसला नहीं करता तो हमें मजबूरन दखल देना पड़ेगा। कोर्ट इस मसले में 11 मई को फिर सुनवाई करेगा। मोहम्मद आजम खां बीते दो वर्षों से सीतापुर जेल में बंद हैं। उन्हें यूपी की भाजपा सरकार का कोप लगातार झेलना पड रहा है।
इससे पहले 5 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट में शत्रु संपत्ति के मामले में आजम खां की जमानत को लेकर 3 घंटे तक बहस हुई। दोपहर बाद 3.50 से शाम 6.42 तक चली बहस में दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। रामपुर के अजीमनगर थाने में आजम खांन पर फर्जी वक्फ बनाने व शत्रु संपत्ति पर अवैध कब्जा कर बाउंड्रीवॉल खड़ी करने के आरोप में मामला दर्ज है। 4 दिसंबर 2021 को इस मामले में सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था। फिर 5 मई 2022 को सुनवाई के बाद भी अदालत ने आजम खां की जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा। इसके बाद आजम खां की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित करने के बाद लंबे अरसे से फैसला नहीं सुनाया है। इस पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई की तारीख मुकर्रर की थी।
बीते 29 अप्रैल को राज्य सरकार ने पूरक जवाबी हलफनामा दाखिल कर कुछ और नए तथ्य पेश किए, जिसके बाद 5 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट में फिर सुनवाई हुई। आजम खां की जमानत के समर्थन में उनके अधिवक्ता इमरान उल्लाह का कहना था कि उनके मुवक्किल के खिलाफ 89 मुकदमे दर्ज हैं। उनमें से 88 में उन्हें जमानत मिल चुकी है। यह मुकदमा भी अन्य की तरह राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण दर्ज कराया गया है, जो इस मामले का मुख्य अभियुक्त है और जिसपर फर्जी इंद्रराज करने का आरोप है, उसकी जमानत हाईकोर्ट से मंजूर हो चुकी है।
