
चूरू में आज एक कथा के दौरान संत ने भरे मंच से सांसद-विधायक और नगर पालिका चेयरमैन को गोली मारने की बात तक कह डाली। वे यहां तक बोल गए कि नेता कुर्सियां लेकर बैठ जाते हैं। देश को बर्बाद कर दिया। इस दौरान मंच पर मौजूद जनप्रतिनिधियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन वे रुके नहीं।
संत के बयान के बाद विवाद बढ़ तो आयोजनकर्ता लड्डू गोपाल समिति ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि महाराज को बीपी की शिकायत है। सरदार शहर के ताल मैदान में 6 दिन से भागवत कथा चल रही है। यहां कथा वाचक संत आनंद महाराज कथा कर रहे थे। गुरुवार को राज्यमंत्री अनिल शर्मा व पालिका चेयरमैन राजकरण चौधरी को मंच पर बुलाया गया। इन्हें देखते ही संत आनंद महाराज भड़क गए। वे बोले कि देश के लिए काम नहीं, ऐसे आदमी क्या काम के। ऐसे आदमियों को गोली मार देनी चाहिए। पास में खड़े नगरपालिका चेयरमैन की तरफ इशारे करते हुए संत ने कहा, मैं कल इनके वार्ड में घूम कर आया हूं। जगह-जगह गड्ढे पड़े हैं, होश नहीं है। इस पर चेयरमैन ने महाराज को रोकना चाहा, लेकिन महाराज ने ये कहकर चुप करा दिया कि ज्यादा वकालत करने की कोशिश मत करो। वे रुके नहीं बोले कि कुर्सियां लेकर बैठ जाते हैं और बस हम बड़े हो गए। काहे के बड़े हो गए, धूल बड़े हो गए, थोड़ा काम करो। इसलिए हमारे देश की उन्नति नहीं हो रही है। महाराज यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा विधायक, सांसदव चेयरमैन को एक साथ खड़ा करके गोली मार देनी चाहिए।
महाराज बोलते गए औऱ कहा,विधायक, चेयरमैन बनकर बैठ गए, दो-दो गाड़ियांबाहर खड़ी हैं और काम कुछ करते नहीं। बस पैसा लाओ, पैसा लाओ, पैसा लाओ। इसलिए हमारे देश का सत्यानाश हो रहा है। थोड़ा काम करो भाई।
सार्वजनिक मंच से महराज द्वारा ऐसा कहने पर पास खड़े चेयरमैन खफा हो गए। उन्होंने कहा, ये जो भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है ना ये स्पष्ट झूठ है। पैसा लाओ, पैसा लाओ– हमने कोई पैसे के हाथ नहीं लगाया। पूरे शहर में एलएंडटी का काम चल रहा है। लाइन खोदने का काम चल रहा है। नगरपालिका से जितना बन सकता है, हम कर रहे हैं।लेकिन इस प्रकार मंच पर बुलाकर सार्वजनिक रूप से अपमानित करने का अधिकार भगवान ने आपको भी नहीं दिया होगा। बता दें कि गुरुवार को कथा का छठवां दिन था। संत आनंद देशभर में 537 से अधिक जगह भागवत का वाचन कर चुके। उनका सरदार शहर में ये तीसरी बार कथा वाचन का कार्यक्रम था। इससे पहले उनकी ओऱ से इस तरह के विवादित बयान की बात सामने नहीं आई है।