
ताजमहल के तहखाने में बने 20 कमरों को खोलने की याचिका पर हाईकोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई है।
जस्टिस डीके उपाध्याय ने कहा कि याचिकाकर्ता पीआईएल व्यवस्था का दुरुपयोग न करें। पहले यूनिवर्सिटी जाएं, पीएचडीकरें, तब कोर्ट आएं। अगर कोई रिसर्च करने से रोके, तब हमारे पास आना। इतिहास आपके मुताबिक नहीं पढ़ाया जाएगा। याचिकाकर्ता ने कहा, कृपया मुझे उन कमरों में जाने की अनुमति दें। इस पर हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि कल आप आकर हमें माननीय जजों के चैंबर में जाने के लिए कहेंगे? कृपया जनहित याचिका प्रणाली का मजाक न बनाएं, यह याचिका कई दिनों से मीडिया में घूम रही है और अब आप समय मांग रहे हैं? कोर्ट ने लंच बाद दोबारा सुनवाई कर याचिका खारिज कर दी। भाजपा के अयोध्या मीडिया प्रभारी डॉ. रजनीश सिंह ने 7 मई को कोर्ट में याचिका दायर कर ताजमहल के 22 कमरों में से 20 कमरों को खोलने की मांग की थी। उन्होंने इन कमरों में हिंदू-देवी-देवताओं की मूर्ति होने की आशंका जताई। याचिकाकर्ता रजनीश सिंह ने इस मामले में राज्य सरकार से एक समिति गठित करने की मांग भी की। इसके बाद से ही देश में ताजमहल के कमरों के रहस्यों को लेकर एक नई बहस छिड़ी हुई है। वहीं, इतिहासकारों का कहना है कि ताजमहल विश्व विरासत है। इसे धार्मिक रंग नहीं देना चाहिए।