किरीट पारेख की अध्यक्षता वाली कमेटी ने बुधवार को सरकार को गैस मूल्य निर्धारण फॉर्मूले पर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। समिति ने प्राकृतिक गैस को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने की सिफारिश की है। पारेख ने कहा कि प्राकृतिक गैस को जीएसटी के तहत लाना जरूरी है, क्योंकि अन्य सभी वस्तुओं को इसके दायरे में लाया गया है। एक सुझाव यह भी दिया गया कि केंद्र पांच साल तक राज्यों के नुकसान की भरपाई करे।
किरीट पारेख समिति को भारत में गैस-आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए बाजार-उन्मुख, पारदर्शी और भरोसेमंद मूल्य निर्धारण व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सुझाव देने का दायित्व सौंपा गया था। समिति को यह भी तय करना था कि अंतिम उपभोक्ता को उचित मूल्य पर गैस मिले। इस पैनल ने गैस के दाम पर लगाये जाने वाली सीमा को अगले 3 साल के लिए खत्म किए जाने का भी सुझाव दिया है। साथ ही कमेटी ने देश में पुराने गैस फील्ड से उत्पादन होने वाले प्राकृतिक गैस के प्राइस बैंड को 4 से 6.5 डॉलर प्रति यूनिट तय करने की सिफारिश की है। इन क्षेत्रों में लंबे समय से लागत वसूली जा चुकी है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कीमतें उत्पादन लागत से नीचे नहीं गिरेंगी, जैसा कि पिछले साल हुआ था। मौजूदा दरों की तरह रिकॉर्ड ऊंचाई तक भी नहीं बढ़ेंगी। समिति ने सरकार से गैस के दामों को कच्चे तेल के दामों के साथ जोड़ने का भी सुझाव दिया है.
किरिट पारिख समिति ने एक जनवरी 2027 से गैस के दाम बाजार की कीमतों के आधार पर तय करने की सिफारिश की है।.
सरकार ने सितंबर 2022 में देश में उत्पादन होने वाले घरेलू गैस की कीमतों की समीक्षा करने के लिए योजना आयोग के पूर्व सदस्य और एनर्जी सेक्टर के जानकार किरिट पारिख की अध्यक्षता में पैनल का गठन किया था। इस कमेटी में फर्टिलाइजर मिनिस्ट्री से लेकर गैस उत्पादक और खरीदारों के प्रतिनिधि शामिल थे। आम लोगों को सस्ती गैस उपलब्ध कराने के साथ ही किरिट पारिख पैनल पर ये जिम्मेदारी थी कि वो ऐसी नीति तैयार कर सरकार को सुझाव दे जो पारदर्शी से लेकर भरोसेमंद प्राइसिंग रिजिम हो और लंबी अवधि में भारत को गैस आधारित अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करे।
