गृह राज्य भाया, नहीं लौट रही महिला आईएएस

राजस्थान की एक महिला आईएएस अधिकारी की मनमानी सामने आई है। यह मामला राज्य सरकार, बिहार सरकार और केंद्र सरकार सभी के लिए सिरदर्द बना हुआ है। 2005 बैच की राजस्थान कैडर की आईएएस अधिकारी पूनम 6 साल पहले बिहार में डेपुटेशन पर गई थीं। सरकार उनको लौटने के लिए बार-बार पत्र लिख रही है, लेकिन पूनम न जवाब दे रहीं और न वापस लौट रही हैं।

पूनम को 2016 में 3 साल के लिए डेपुटेशन मिला था। इस हिसाब से वह अक्टूबर 2016 से सितंबर 2019 तक बिहार में रह सकती थीं। उसके बाद उन्होंने कोरोना का हवाला देकर 1 वर्ष के लिए अपना डेपुटेशन बढ़वा लिया। केंद्र, राजस्थान व बिहार की सरकारों ने विशेष परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें इसकी इजाजत दे दी। इसके बाद उनका डेपुटेशन अक्टूबर 2020 में पूरा हो गया।

उन्होंने फिर से कोरोना का हवाला देकर 1 वर्ष का डेपुटेशन और मांगा तो नहीं मिला। तब उन्होंने कैट (प्राधिकरण) में शरण ली। जहां से उन्हें फिर 1 वर्ष का डेपुटेशन मिल गया। यह डेपुटेशन भी अक्टूबर 2021 में खत्म हो गया है। उसके बाद भी 1 वर्ष से ज्यादा का समय बीत गया है, लेकिन पूनम अभी बिहार में ही हैं। उन्होंने अपना परिवार भी पटना (बिहार) शिफ्ट कर लिया है।

आईएएस पूनम राजस्थान में बीकानेर, सवाई माधोपुर, डूंगरपुर और बूंदी जिलों में कलेक्टर भी रही हैं। राजस्थान के कार्मिक विभाग ने पूनम को पत्र लिख कर उनके अब तक कैडर में वापस न लौटने का कारण पूछा है। इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया है।

ऐसे में विभाग उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का मन बना चुका है। वह केंद्र के कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग और बिहार राज्य सरकार को अपनी आपत्ति दर्ज करवाने वाला है। विभाग के मंत्री होने के नाते इस मामले की जानकारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी भेज दी गई है। कार्मिक विभाग के प्रमुख शासन सचिव हेमंत गेरा ने इस संबंध में आगे कार्रवाई करने की तैयारी कर ली है।

राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में इसे अपनी तरह का पहला मामला बताया जा रहा है। जब किसी और राज्य में डेपुटेशन पर गया कोई आईएएस अधिकारी 5 साल बीत जाने पर भी नहीं लौट रहा।

भारत सरकार के स्पष्ट नियम है कि कोई भी आईएएस या आईपीएस अधिकारी अपने सेवा कैडर से गृह राज्य जा सकता है। ऐसा पूरे सेवाकाल में अधिकतम 5 वर्ष के लिए हो सकता है। इससे ज्यादा का कोई मामला पूरे देश में सामने नहीं आया है।

राजस्थान कैडर से हाल के वर्षों में फरवरी-2019 से फरवरी-2022 तक डॉ. रवि सुरपुर अपने गृह राज्य कर्नाटक में रह कर वापस आ गए हैं। उससे पहले वर्ष 2009 में तमिलनाडु कैडर से हरसहाय मीणा अपने गृह राज्य राजस्थान में तीन वर्ष रह कर वापस लौट चुके हैं। वर्ष 2015 आईएएस परीक्षा के टॉपर रहे अतहर आमिर खान भी फरवरी-2021 में अपने गृह राज्य कश्मीर गए हुए हैं। ऐसे नियम के तहत पूनम भी बिहार गई थीं, लेकिन अब तक नहीं लौटी हैं।

आम तौर पर सरकारी डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, कर्मचारी नौकरी में रहते हुए निजी क्षेत्र में नौकरी या डेपुटेशन पर नहीं जा सकते हैं। मगर आईएएस अफसरों को कानूनन यह छूट मिली हुई है। राजस्थान कैडर के एक अन्य आईएएस अधिकारी अंबरीश कुमार जुलाई-2020 से ईशा आउटरीच कोयम्बटूर (तमिलनाडु) में प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। एक तरफ राजस्थान कैडर में आईएएस के 100 से अधिक पद रिक्त चल रहे हैं। ऐसे में निजी क्षेत्र में जाने की इजाजत किसी आईएएस को मिलना ब्यूरोक्रेसी में चर्चा का विषय बना हुआ है।

राजस्थान में वर्ष 2010-2012 के बीच एक और चर्चित मामला सामने आया था। तब कर्नाटक के मूल निवासी बी. शरण नाम के एक आईएएस अधिकारी एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में अमेरिका गए थे। उसके बाद से वह आज तक वापस राजस्थान नहीं लौटे हैं। केंद्र सरकार और राजस्थान सरकार के स्तर पर कई बार नोटिस देने और पत्र व्यवहार करने के बावजूद वह वापस नहीं लौटे। आखिरकार भारत सरकार ने उन्हें सेवा से हटा दिया था।

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