सीनियर टीचर भर्ती के पेपर लीक मामले के मास्टरमाइंड सुरेश ढाका और भूपेंद्र सारण अब भी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। एक सप्ताह बाद भी पुलिस उन तक नहीं पहुंच पाई है। पेपर लीक का खुलासा होते ही दोनों फरार हो गए थे। पुलिस उनके घर और रिश्तेदारों के यहां तलाश रही थी और दोनों आरोपी थाईलैंड में नया साल मना रहे थे। ढाका और सारण ने भारत की सीमा पार कराने के लिए मानव तस्करी से जुड़े लोगों से संपर्क किया। इसके बाद वे नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार होते हुए थाईलैंड पहुंच गए।
दोनों आरोपी एक हफ्ते में जयपुर से चार हजार किलोमीटर से ज्यादा दूर निकल गए। अवैध रूप से थाईलैंड पहुंचते ही जब उन्हें लगा कि वे पुलिस की गिरफ्त से दूर हो गए हैं तो उन्होंने करीबी दोस्तों को वीडियो कॉल करके थाईलैंड के नजारे भी दिखाए। बताया जा रहा है कि उन्होंने धूमधाम से नया साल मनाया और बीच पार्टी भी की। (नाम न छापने की शर्त पर आरोपियों के एक दोस्त ने ‘भास्कर’ से ये जानकारी साझा की।)
सुरेश ढाका ने चित्रकूट स्थित अपने घर और गुर्जर की थड़ी पर स्थित अधिगम कोचिंग सेंटर को कंट्रोल रूम बना रखा था। 24 दिसंबर को पेपर वाले दिन यहां से सुरेश ढाका और भूपेंद्र सारण प्लानिंग कर सुरेश बिश्नोई को निर्देश दे रहे थे। सुरेश बिश्नोई उनके निर्देश पर लीक पेपर छात्रों को बताकर बस से परिक्षा केन्द्र ले जा रहा था। सुरेश और भूपेंद्र ने पूरे काम पर नजर रखने के लिए बस में जीपीएस तक लगवाया था। उदयपुर पुलिस ने 24 दिसंबर सुबह सवा तीन बजे बस में सवार छात्रों और सुरेश बिश्नोई व भजनलाल बिश्नोई को पकड़ लिया था।
सुरेश ढाका ने पहले अपने साथियों को पुलिस से छुड़वाने का प्रयास किया, लेकिन समझौता नहीं होने पर उसने भूपेंद्र सारण को दोपहर में अपने घर बुला लिया। सुरेश ढाका और भूपेंद्र सारण को पता था कि मामला शांत होने में महीनों लगेंगे। उन्होंने जयपुर से नेपाल भागने का प्लान बनाया। शाम को करीब 6 से 7 बजे दोनों सुरेश ढाका के घर पर मिले। इसके बाद यहां से कार में नेपाल के लिए रवाना हो गए। सुरेश ढाका और भूपेंद्र सारण ने अपने परिवार और रिश्तेदारों तक को नहीं बताया कि वो कहां जा रहे हैं। दोनों ने फोन बंद कर दिए। नेपाल में कई दिनों तक रहने और खाने-पीने के लिए खर्च के लिए अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के एटीएम कार्ड ले गए।
दोनों आरोपी जयपुर से अलवर, आगरा, ग्वालियर, लखनऊ होते हुए करीब 13 से 14 घंटे का सफर तय कर नेपाल के काठमांडू पहुंचे। यहां दोनों करीब चार दिन रुके। वे नेपाल से वॉट्सऐप कॉल पर अपने साथियों से बात कर पुलिस और सरकार की कार्रवाई पर नजर रख रहे थे।
आरोपियों के फरार होने के बाद पुलिस ने भूपेंद्र सारण की पत्नी, प्रेमिका और रिश्तेदारों को गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें डर था कि सरकार उनकी प्रॉपर्टी का पता लगाकर कार्रवाई कर सकती है। सुरेश ढाका ने अपने दोस्तों को बताया कि मामला शांत होने तक उसे फरार रहना पड़ेगा। इसके बाद वो मामले से निकलने का जुगाड़ लगा लेगा।
सुरेश और भूपेंद्र को डर था कि पुलिस नेपाल में आकर उनको गिरफ्तार कर सकती है। पुलिस से बचने के लिए वो नेपाल में भी हर दिन अपनी जगह बदलते रहे। वे एक दिन से ज्यादा किसी होटल में नहीं रुके। नेपाल आने के दो दिन बाद ही जयपुर में आरोपियों के नेपाल में होने की खबर फैल गई। सुरेश ढाका को जब पता लगा कि उनके नेपाल में होने की सूचना पुलिस को लग गई है तो उसने वहां से फरार होने की प्लानिंग शुरू कर दी।
एसओजी कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में भूपेंद्र सारण की तलाश कर रही थी। इससे पहले भी भूपेंद्र सारण के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के कारण उसका पासपोर्ट नहीं बन पाया था। ऐसे में सुरेश ढाका और भूपेंद्र फ्लाइट से दुबई नहीं जा सकते थे। उन्होंने सड़क के रास्ते से थाईलैंड जाने की प्लानिंग शुरू कर दी। नेपाल में चार दिन रहने के बाद वे 29 दिसंबर को सड़क के रास्ते से सीमा पार कर थाईलैंड के लिए रवाना हो गए।
सुरेश ढाका की नेपाल और बांग्लादेश के कई तस्करों से जान पहचान थी। उसने मानव तस्करी से जुड़े लोगों को सीमा पार कराने वाले से सम्पर्क किया। इसके बाद वे बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार होते हुए थाईलैंड पहुंच गए। थाईलैंड पहुंचते ही दोनों आरोपियों ने अपने रिश्तेदारों और परिचितों से वीडियो कॉल पर बात भी की। नए साल में दोनों आरोपी थाईलैंड में थे।
(साभारः भास्कर)
