वित्तन मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2023 में मोटे अनाज के लिए अलग से योजना बनाने की घोषणा की। मोटा अनाज, जिसे श्रीअन्न भी कहा जाता हैं, को बढ़ावा दिया जा रहा है। राजस्थान दुनिया में श्रीअन्न का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसा सबसे बड़ा निर्यातक राज्य हैं।
केन्द्र सरकार ने मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए श्री अन्न योजना शुरू की है। इसके जरिए देशभर में मोटे अनाज के उत्पादन और उसकी खपत को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही अनाज के उत्पांदन और अंतरराष्ट्री य स्तार पर आपूर्ति के लिए इंस्टीाट्यूट्स ऑफ मिलेट्स के गठन का भी ऐलान किया। इंस्टींट्यूट ऑफ मिलेट्स मोटे अनाज के उत्पा दन को बढ़ाने की संभावनाओं पर काम करेगा।
देश में राजस्थायन, महाराष्ट्रे, कर्नाटक, गुजरात और मध्यव प्रदेश में सबसे अधिक मोटा अनाज का उत्पादन होता है। इनमें बाजरा, ज्वार, रागी और कोदो की फसल प्रमुख है। राजस्थान में मोटा अनाज में बाजरे की सबसे अधिक खेती होती है। मोटे अनाजों में बाजरा प्रमुख है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज (मिलेट) वर्ष के रूप में घोषित करने के मद्देनजर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय 20 राज्यों के 30 जिलों में बाजरा महोत्सव की मेजबानी कर रहा है। राजस्थान के जोधपुर और बाड़मेर शहर इनमें शामिल है। मोटे अनाजों में बाजरा किसानों को अच्छा मुनाफा दे सकता है।
मिलेट, मोटे अनाज का सामान्य शब्द है। जिसे अक्सर न्यूट्री-अनाज कहा जाता है। मोटे अनाज की खेती में कम मेहनत लगती है। पानी की भी कम जरूरत होती है। यह बिना सिंचाई और बिना खाद के पैदा किया जा सकता है। मोटे अनाज को ऐसी फसल माना जाता है, जो भविष्य में भोजन, ईंधन, कुपोषण, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करेगी। भारत के प्रस्ताव और 72 देशों के समर्थन के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने बाजरा, ज्वार, कोदो समेत 8 मोटे अनाज को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है।
मोटा अनाज पौष्टिक रूप से गेहूं और चावल से बेहतर होता। मोटे अनाज से डायबिटीज, कैल्शियम और पोटेशियम से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है। बीटा-कैरोटीन, नाइयासिन, विटामिन-बी-6,फोलिक एसिड, पोटेशियम, मैग्नीशियम, जस्ता आदि से भरपूर इन अनाजों को सुपरफूड भी कहा जाता है। इसमें सॉल्युबल फाइबर के साथ ही कैल्शियम और आयरन की मात्रा अधिक होती है। मोटा अनाज कुपोषण के खिलाफ लाभकारी माना जाता है।
