बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पर बैन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, एडवोकेट प्रशांत भूषण व एमएल शर्मा द्वारा दायर याचिका पर आज सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश की पीठ ने केंद्र सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ्तों का समय दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई अप्रैल में होगी।
इससे पहले 21 जनवरी को केंद्र सरकार ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के लिंक को शेयर करने वाले कई यूट्यूब वीडियो और ट्विटर पोस्ट को ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए, जिसके बाद इस डॉक्यूमेंट्री का लिंक शेयर करने वाले कई ट्वीटर पोस्ट को हटाया गया। इसके साथ ही कई ऐसे ग्रुप्स को भी बंद किया गया है, जिसमें इस डॉक्यूमेंट्री को शेयर की गया था।
याचिका में सोशल मीडिया पर शेयर की गई सूचनाओं सहित “प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सेंसर करने वाले सभी आदेशों” को रद्द करने की मांग की गई है। इसके साथ ही दावा किया गया है कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में “रिकॉर्डेड सबूत हैं, जिनको पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को बैन करने के आदेश के बाद से विपक्षी पार्टियों के नेता प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। राहुल गांधी ने तो आरोप लगाते हुए यहां तक कह दिया है कि आप सीबीआई, ईडी और अन्य एजेंसियों का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन सच तो सच होता है। सच्चाई चमकीली होती है। इसे सामने आने की बुरी आदत होती है। इसलिए किसी भी तरह की पाबंदी, दमन और डराने वाले लोग सच्चाई को सामने आने से नहीं रोक सकते हैं। सांसद महुआ मोइत्रा भी लगातार डॉक्यूमेंट्री के मुद्दे पर सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साध रही हैं।
