राजस्थान में विकसित समाज माने जाने वाले माहेश्वरी समाज अपनी घटती आबादी से काफी चिंतित है। ऐसे में समाज अब दो से ज्यादा संतान होने यानी तीसरी और चौथी संतान पर एफडी (फिक्स डिपोजिट) करवाएगा। इससे पहले माहेश्वरी समाज तीसरी लड़की होने पर 50 हजार रुपए की एफडी करवाता था, लेकिन अब समाज की ओर से लड़कों के जन्म पर भी एफडी कराने की घोषणा की गई है।
अखिल भारतीय माहेश्वरी सेवा सदन के अध्यक्ष रामकुमार भूतड़ा ने मेड़ता (नागौर) में कहा कि टूटते संयुक्त परिवार हमारे लिए चुनौती है। ऐसे में निर्णय लिया गया है कि समाज के किसी भी व्यक्ति के अगर तीसरी या चौथी संतान होगी तो उसी दिन बच्चे के नाम की 50 हजार रुपए की एफडी करवा कर माता-पिता को दी जाएगी।
भाजपा के प्रदेश कोषाध्यक्ष रह चुके रामकुमार भूतड़ा तीसरी बार अखिल भारतीय माहेश्वरी सेवा सदन के अध्यक्ष बने हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवारों का टूटना हमारे समाज के लिए एक चिंता का विषय है। आज जो एकाकी परिवार है, इसमें ज्यादातर युवा संतान उत्पत्ति में विश्वास कम करते हैं। 30 साल होने के बाद तो वे शादी करते हैं। लड़का अलग जगह काम करने जा रहा है, लड़की अलग काम कर रही है तो ऐसे में उन्हें बच्चों का लालन-पालन करना कठिनाई लगने लगता है। ऐसी नौबत संयुक्त परिवार में नहीं आती। पहले दादी, मां, काकी, भाभी… यह सब लोग परिवार में बच्चों का लालन-पालन आसानी से कर लेते थे, मगर अब ऐसा बहुत कम रह गया है। ऐसे में हमें संयुक्त परिवार की ओर बढ़ना होगा।
भूतड़ा के अनुसार पूरे भारत में माहेश्वरी समाज के लोगों की आबादी करीब 1 करोड़ के आसपास है। वहीं मध्य राजस्थान के जिलों- अजमेर, नागौर, टोंक और सवाई माधोपुर में 35 हजार परिवार है और आबादी करीब 1 लाख 75 हजार है। इसलिए हमने समाज की आबादी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन देने के मकसद से घोषणा की है कि माहेश्वरी समाज में जिसके यहां तीसरी या चौथी संतान की होगी, उनको 50 हजार रुपए की एफडी उस बच्चे के नाम से उसी दिन दे दी जाएगी।
भूतड़ा ने कहा कि जितने भी संत-महात्मा है, वे हमारे भवनों में आते रहते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का राष्ट्रीय स्तर का शिविर भी हमारे अखिल भारतीय माहेश्वरी सेवा सदन में हुआ। संघ प्रमुख मोहन भागवत 7 दिन हमारे सेवा सदन में रहे। इस तरह की हमारी संस्थाएं हर जगह है। हरिद्वार, वृंदावन सहित सभी जगह समाज के भवन है और यह भवन सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक हर प्रकार के कार्यों में काम आते हैं। पुष्कर में शंकराचार्यजी आए तो उन्हें वहां सभी माकूल व्यवस्थाएं मिली। हमारे समाज के लोग आध्यात्मिक चिंतन से जुड़े हैं, जो सेवा में लगे हुए है। यहीं वजह है कि हमारे समाज के भवनों में अगर कोई अकेली तीर्थ यात्री महिला भी पहुंचती है, तो वो खुद को सुरक्षित महसूस करती है। यह भरोसा है पूरे देश का हमारे समाज पर।
