धार्मिक चिह्नों और धार्मिक नाम का इस्तेमाल करने वाली राजनीतिक पार्टियों को चुनाव लड़ने से रोकने और मान्यता रद्द करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से हाईकोर्ट में मामले से सम्बंधित लंबित याचिका की जानकारी 4 हफ्ते में देने को कहा है। वहीं मुस्लिम लीग ने इस मामले में भाजपा को भी पार्टी बनाने की अर्जी दी है। वकील दुष्यंत दवे ने अदालत में कहा कि भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिह्न कमल है जो हिन्दू और बौद्ध धर्म में एक प्रतीक है। इसके अलावा उन्होंने शिव सेना, शिरोमणी अकाली दल, हिंदू सेना, हिंदू महासभा, क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक फ्रंट, इस्लाम पार्टी हिंद आदि 26 अन्य दलों को भी शामिल करने की मांग की है।
वहीं एआईएमआईएम की तरफ से वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल ने याचिका के सुनवाई योग्य होने पर सवाल उठाते हुए याचिका को खारिज करने की मांग की। वेणुगोपाल ने कहा इसमें किसी मौलिक अधिकार का हनन नहीं हो रहा है। याचिकाकर्ता के वकील गौरव भाटिया ने कहा कि देश में दो तरह के राजनीतिक दल हैं, राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियां, चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में बताया है कि हाईकोर्ट में दायर याचिका का निपटारा हो चुका है।
इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने याचिकाकर्ता वसीम रिज़वी पर सवाल उठाए थे। कहा था कि सिर्फ मुस्लिम पार्टियों पर निशाना साधा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता को सेक्युलर होना चाहिए। सिर्फ एक समुदाय को निशाना नहीं बनाना चाहिए। सभी पार्टियों को इसमें शामिल किया जाना चाहिए।
एआईएमआईएम ने मामले को संवैधानिक पीठ को भेजने की मांग की है। वरिष्ठ वकील वेणुगोपाल ने मामले को संविधानिक पीठ के पास भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि इसके दूरगामी परिणाम होंगे। कई राजनीतिक दलों पर असर पड़ेगा। 75 साल की सम्पूर्ण लोकतान्त्रिक प्रक्रिया प्रभावित होगी। याचिकाकर्ता एक आपराधिक मामले में जमानत पर है, वह स्वयं इस्लाम से हिन्दू धर्म में शामिल हुआ है।
