कभी सचिन पायलट के खेमे से निकलकर सीएम अशोक गहलोत का दामन थामने वाले राजस्थान के खाद्य मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास अब अपने नेता से नाखुश दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने गहलोत की काम करने के तौर तरीके पर सवाल उठाते हुए चुनावी साल में नाराज नेताओं को मनाने और सत्ता के विकेन्द्रीकरण की मांग उठाई है। साथ ही पायलट को जनाधार वाला नेता बताया है।
खाचरियावास ने कहा-गहलोत को आत्म केन्द्रित राजनीति नहीं करनी चाहिए। सब कुछ मेरे लिए ही तुम करो, ऐसे कैसे चलेगा? कुछ तो सामने वाले के लिए करना होता है। आपको स्पेस देना होता है। मैंने कांग्रेस की बैठक में एक बार कहा था कि कम से कम चार पांच नेता तो तैयार करें। पार्टी को वापस सत्ता में लाना है, तो नेता तो तैयार करने ही होंगे। सब कुछ मैं ही हो जाऊं, यह नहीं चलता है। गहलोत साहब को किसी से भेदभाव करने का हक नहीं है। जितना पार्टी ने उनको दिया है उतना किसी को नहीं दिया। लिहाजा अब उन्हें भीष्म पितामह की भूमिका में आना चाहिए।
खाचरियावास ने कहा- गहलोत साहब अच्छे नेता हैं उनकी हजार अच्छाई होंगी, लेकिन आदमी को आत्म केन्द्रित राजनीति नहीं करनी चाहिए। खाचरियावास ने कहा- भैरों सिंह शेखावत मेरे बड़े पापा थे, वे भी जब तीसरी बार सीएम बने थे तो उनकी आदत भी सेट हो गई थी कि फलां अफसर अच्छा है, ये रास्ते अच्छे हैं, यह शहर अच्छा है। उनकी पसंद सेट हो गई थी। वे जिद्दी हो गए थे। वे केवल उस समय एक अफसर के भरोसे रहे और उसी अफसर ने बेड़ा गर्क कर दिया।
खाचरियावास ने इशारों में गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा- तीसरी बार कोई भी सीएम बने, आप किसी पर भरोसा नहीं करो। जिद्दी हो जाओ, मनमानी करने लगो कि सब कुछ मैं ही करूं, मैं ही हूं जो कुछ हूं- यह नहीं चलता। कभी कोई पार्टी ‘मैं’ से नहीं चलती, ‘हम’ से चलती है। किसी नेता को कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। केवल एक व्यक्ति के भरोसे सत्ता नहीं आती है। यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि केवल अकेले के दम पर राज आता है। पूरी टीम मिलकर काम करती है और सामूहिक नेतृत्व में काम होता है।
पायलट का पक्ष लेते हुए खाचरियावास ने कहा- अब क्या सचिन पायलट के पीछे ही पड़े रहोगे? सचिन पायलट को यूज तो करना ही पड़ेगा। उनका भी अपना आधार है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सचिन पायलट से मेरी कोई लड़ाई नहीं है। मैं न गहलोत खेमे में हूं, न पायलट खेमे में हूं। मैं कांग्रेस में हूं, लेकिन मै अपनी बात तो कहूंगा। हमारी पार्टी में बात रखने का हक सबको है, मैं पहले भी बात रखता आया हूं।
अब धीरे धीरे खाचरियावास पायलट को लेकर नरम और गहलोत पर तल्खी दिखा रहे हैं। इसे बदले सियासी समीकरणों से जोड़कर देखा जा रहा है। खाद्य मंत्री कई दिनों से सरकार में पावर केन्द्र बनने पर सवाल उठा रहे हैं। वह 3000 करोड़ की योजना का काम खाद्य विभाग से छीने जाने से नाराज भी हैं। तल्ख बयानबाजी के पीछे इसे एक बड़ा कारण माना जा रहा है।
