भारतीय रेलवे ने आखिर केन्द्र की मोदी सरकार का सपना साकार कर दिया। सरकार रेलवे को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बनाना चाहती थी, जो उसने बनकर दिखा दिया। वित्त वर्ष 2022-23 में रेलने ने 2.40 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड राजस्व अर्जित किया है। यह आंकड़ा पिछले वित्त वर्ष की तुलना में लगभग 49,000 करोड़ रुपये अधिक है। रेल मंत्रालय ने एक बयान में यह जानकारी दी। बयान के अनुसार 2022-23 में माल ढुलाई से राजस्व बढ़कर 1.62 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो इससे पिछले साल की तुलना में लगभग 15 प्रतिशत अधिक है।
वहीं, भारतीय रेल का यात्री राजस्व सालाना आधार पर 61 प्रतिशत बढ़कर 63,300 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। बयान में आगे कहा गया कि तीन वर्षों के बाद भारतीय रेल अपने पेंशन व्यय को पूरा करने में सक्षम हो गई है।.
राजस्व बढ़ने तथा खर्चों को कम करने के प्रयासों से परिचालन अनुपात 98.14 प्रतिशत पर लाने में मदद मिली है। यह संशोधित लक्ष्य के अनुरूप है। बयान के अनुसार सभी राजस्व व्यय को पूरा करने के बाद रेलवे ने आंतरिक स्रोतों से पूंजी निवेश को लेकर 3,200 करोड़ रुपये अर्जित किये।
बताते चलें कि कोरोना काल से केन्द्र सरकार तमाम रियायतें बंद कर मालभाड़े से मोटी कमाई पर जोर दे रही है। साथ ही यात्री ट्रेनों की भी विभिन्न श्रोणियां करके यात्रियों से भरपूर किराया वसूल कर रही है। विपक्षी दलों और आमजन से ट्रेन भाड़ा सामान्य करने तथा बंद रियायतों को बहाल करने की लगातार उठ रही मांग को केन्द्र सरकार नजरंदाज करती जा रही है। सरकार की सोच है कि आराम दायक यात्रा करने और सामान की देश के एक कोने से दूसरे कोने तक त्वरित व सुगम आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए लोगों जेब ढीली करनी ही पडेगी।
