करीब 5 वर्ष साल पहले अपने गांव से भटककर मंदसौर पहुंची औक बाद में उदयपुर के शेल्टर होम में रही सात साल की बालिका को आखिरकार मां-बाप मिल गए। अपनी बिछड़ी बेटी को देख माता औऱ पिता फफक पड़े।
नाथद्वारा क्षेत्र में एक व्यक्ति ने वर्ष 2017 में रिपोर्ट दी थी कि उसकी बेटी हैण्डपम्प पर गई, जो नहीं लौटी। पिता ने बेटी को ढूंढने की रिपोर्ट दी। बाद में उन्होंने स्वयं ढूंढने तथा आगे की कार्यवाही नहीं चाहने की बात कहकर थाने में गुमशुदगी या कोई अन्य प्रकरण दर्ज नहीं कराया। फिर पिता 2017 से मार्च, 2023 तक लगातार प्रदेश के विभिन्न शहरों के साथ मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र आदि राज्यों बेटी को ढूंढते रहे।
जब पिता बेटी की तलाश में उदयपुर के बालिका गृह भी पहुंचे तो वहां स्वयं तथा बेटी का आधार कार्ड देने के बाद बालिका का गृहक्षेत्र राजसमंद होने का पता चला। मामले को उदयपुर से राजसमन्द बाल कल्याण समिति को स्थानान्तरित किया गया। वहां बालिका अपने पिता को काफी समय बाद देखने के बाद रोने लगी। पिता भी रोने लगा। पिता के साथ बालिका की काका की लड़की, भाभी व अन्य परिजन भी आए थे। उनकी उपस्थित बालिका को सुपुर्द किया गया।
बालिका 7 वर्ष की आयु में अपने घर से मन्दसौर चली गई थी। फिर उदयपुर के बालिका गृह में 4 साल तक रही, लेकिन न तो पिता को उसका पता चल पाया, न किसी जिम्मेदार एजेंसी ने तलाशने की कोशिश की। इस दौरान बालिका ने कक्षा 5 तक की शिक्षा भी पूरी की।
