राजस्थान में दो साल से बंद खानों को नीलामी के जरिये फिर से आवंटित किया जाएगा। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया है कि मेजर मिनरल्स माइनिंग के पूर्व नियमों के तहत क्षेत्र आरक्षित कर आवंटित ऐसी खानों में, जहां अभी तक खनन कार्य आरंभ नहीं हुआ है या गत दो साल से खनन कार्य बंद है, उनके खनन पट्टे स्वतः निरस्त कर तत्काल प्रभाव से नीलामी की जाएगी। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार ने माइंस एवं मिनरल्स (डवलपमेंट एवं रेगुलेशन) एक्ट, 1957 में इस आशय के आदेश जारी किए हैं।
डॉ. अग्रवाल के अनुसार केन्द्र सरकार द्वारा एमएमडीआर एक्ट 1957 में किए गए आवश्यक प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकार की कंपनियों या उपक्रमों के लिए आरक्षित ऐसे माइनिंग क्षेत्र जहां विगत दो साल से लगातार माइनिंग हो रही है, उन खनन क्षेत्रों में एक साल की अवधि के लिए खनन जारी रखने की अनुमति होगी। ऐसे उपक्रमों को एक साल की अवधि में खनन लीज जारी करानी होगी।
एसीएस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि इसी तरह राज्य सरकार की कंपनियों या उपक्रमों के लिए खनिज रियायत नियम, 1960 के तत्कालीन नियम 58 के तहत आरक्षित माइनिंग क्षेत्र में अस्थाई खनन कार्यानुमति जारी कर रखी है और जहां उत्पादन शुरू हो गया है और इस आदेश के जारी होने की तारीख से तुरंत पहले दो साल की अवधि के लिए खनन कार्य बंद नहीं किया गया है, उन खानों के लिए राज्य सरकार एक साल के रियायती अवधि के लिए खनन अनुमति प्रदान करेगी। उन्होंने बताया कि ऐसे अनुमतिधारकों को एक साल की अवधि में खनन लीज प्राप्त करना जरुरी होगा। आदेशों में जारी ये नए प्रावधान एटोमिक व हाइड्रोकार्बन एनर्जी मिनरल्स पर लागू नहीं होंगे।
