बीकानेर में ग्यारह साल की एक बच्ची का अनूठा मामला सामने आया है। बच्ची महज 23 दिन की थी, जब मां की मौत होने पर एक व्यक्ति ने उसे अपने घर लाकर रख लिया। स्कूल जाने की उम्र होने पर उसका प्राथमिक स्कूल में प्रवेश करवा दिया। बच्ची पांचवीं पास कर छठी में अन्य सरकारी स्कूल में प्रवेश के लिए पहुंची, तो स्कूल प्रबंधन ने उसका जन्म प्रमाण पत्र मांगा। इस पर बच्ची के पालक पिता ने नगर निगम में इसके लिए आवेदन किया। जन्म प्रमाण पत्र नहीं बनने पर संभागीय आयुक्त कार्यालय पहुंचा और जन्म प्रमाण पत्र दिलाने का प्रार्थना पत्र दिया। इसी दौरान यह मामला खुला कि बच्ची असल में उसकी नहीं है। वह तो महज पालक पिता है।
संभागीय आयुक्त नीरज के. पवन ने बताया कि जो व्यक्ति प्रार्थना पत्र लेकर आया, वह बायोलॉजिकल पिता नहीं है। फिर भी बच्ची का जन्म प्रमाण पत्र दिलाने की मांग कर रहा है। शुरुआती पड़ताल में पता चला कि इस व्यक्ति को किसी परिवार ने बच्ची जब 23 दिन की थी, तब ही सौंप दी थी। बच्ची का पालन-पोषण वर्तमान पालक माता-पिता ही कर रहे हैं। चूंकि बच्ची अभी नाबालिग है, ऐसे में उसकी मर्जी से किसी के पास नहीं रहने दिया जा सकता। ऐसे में समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों और बाल कल्याण समिति से इस मामले की छानबीन करवाकर विधिक पक्ष देखा जाएगा।
बच्ची के पालक पिता ने संभागीय आयुक्त को प्रार्थना पत्र में बताया कि उसकी पुत्री ने कक्षा पांचवीं की परीक्षा पास की है। अब वह बच्ची को सरकारी बालिका विद्यालय में कक्षा 6 में प्रवेश दिलाना चाहता है। इसके लिए पुत्री के जन्म प्रमाण पत्र की आवश्यकता है। पुत्री को स्कूल से जारी अंक तालिका में जन्मतिथि दर्ज है। इस आधार पर नगर निगम कार्यालय ने बच्ची का जन्म प्रमाण पत्र जारी करने से मना कर दिया। बच्ची की आगे की पढ़ाई सुचारु रखी जा सके, इसके लिए जन्म प्रमाण पत्र दिलाया जाए।
