फर्जीवाड़े से सिविल सेवा में चयन की कोशिश

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सिविल सेवा परीक्षा में कथित रूप से चयन का दावा करने वाले दो उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक और अनुशासनात्मक दंडात्मक कार्रवाई पर विचार कर रहा है। यह जानकारी एक आधिकारिक बयान में दी गई है।

सिविल सेवा परीक्षा के नतीजे मंगलवार को घोषित किए गए थे। फर्जीवाड़ा आयशा मकरानी (मध्य प्रदेश) और तुषार (बिहार) से संबंधित है, जिन्होंने फर्जी तरीके से दावा किया है कि आयोग द्वारा सिविल सेवा परीक्षा 2022 में वास्तव में अनुशंसित उम्मीदवारों के दो रोल नंबर के विरूद्ध चयन के लिए उनके नामों की सिफारिश की गई है।

यूपीएससी द्वारा शुक्रवार को जारी बयान में कहा गया कि दोनों व्यक्तियों के दावे झूठे हैं। उन्होंने अपने दावों को साबित करने के लिए जाली दस्तावेज बनाए हैं। ऐसा करके मकरानी और तुषार ने केंद्र सरकार (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) द्वारा अधिसूचित सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन किया है।

बयान के अनुसार यूपीएससी दोनों उम्मीदवारों के खिलाफ परीक्षा नियमों के प्रावधानों के तहत आपराधिक और अनुशासनात्मक कार्रवाई पर विचार कर रहा है। क्योंकि यूपीएससी की प्रणाली मजबूत होने के साथ-साथ पूरी तरह चाक चौबंद है, जिसमें ऐसी त्रुटियां संभव नहीं हैं।

यूपीएससी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों का चयन करने के लिए हर साल तीन चरणों-प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार में सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करता है।

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