दिल्ली की हवा में इतना प्रदूषण हो चुका है कि सारी हवा जहरीली हो गई है। इसमें सांस लेना ही एक दिन में 20 से ज्यादा सिगरेट पीने के बराबर है। दिल्ली-NCR में एक बार फिर पराली का जहर हवा में घुल रहा है। देश की राजधानी दिल्ली का AQI स्तर एक बार फिर 300 से काफी ऊपर है। इससे आपके लंग्स से लेकर हार्ट, आंख, लिवर, किडनी, पैन्क्रियाज कमजोर हो रहे हैं।
पर्यावरण प्रदूषण केवल दिल्ली-मुंबई तक ही नहीं है। छोटे शहरों में पॉल्यूशन बढ़ने की रफ्तार भी बढ़ गई है। सांस लेने के लिए जो हवा अच्छी मानी जाती है उसका AQI लेवल 50 से कम होना चाहिए, जबकि 300 से ज्यादा का लेवल बहुत खराब माना जाता है। सर्दी के मौसम में हवा और ज्यादा खराब हो जाती है। यही वजह है कि प्रदूषण से लोगों की औसत आयु भी कम हो रही है।
सर्दी अभी ठीक से आई भी नहीं है कि अस्पतालों में श्वांस में तकलीफ संबंधी मामले अचानक 20% बढ़ गए हैं। दिल्ली ही नहीं नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे शहरो में भी वायु प्रदूषण खतरनाक लेवल पर पहुंच चुका है। डब्लूएचओ के अनुसार,300 से ऊपर AQI फेफड़ों के लिए घातक होता है। पिछले कुछ सालों में 63% भारतीय PM-2.5 पॉल्यूशन की गंभीर जद में आ चुके हैं। छोटे शहर जैसे भोपाल (75%) इंदौर (74%) रायपुर (58%) रांची (95%) का भी बुरा हाल है।
मीटर की तरह एनिमेटेड प्रदूषण के लेवल को अलग अलग रंगो जैसे ग्रीन, येलो और रेड पर मापा जाता है। एयर क्वालिटी इंडेक्स अगर 0-50 के बीच है तो ये बेहतर है। अगर 51-100 के बीच है तो संतोषजनक है। 101 से 200 के बीच नॉर्मल है। 201 से 300 के बीच खराब और 301 से 400 के बीच बहुत खराब माना जाता है। 401 से 500 के बीच गंभीर हो जाता है।
प्रदूषण की वजह से दिल्ली NCR में रहने वाले लोगों की उम्र 10 साल कम हो रही है। वहीं जो लोग उत्तर भारत में रहते हैं उनकी 7 साल तक कम हो रही है। दक्षिण भारत में प्रदूषण की वजह से लोगों की औसत आयु 5 साल तक कम हो रही है। प्रदूषण से हर साल 20 लाख लोगों की मौत हो रही है।