अब इलेक्ट्रॉनिक्स फ्री कॉक्लियर इंप्लांट से बहरेपन का इलाज होना संभव हो गया है। यह तकनीक पहले से अधिक प्रभावी और आसान है। जयपुर में आज न्यूरो ओटोलॉजिकल एंड इक्विलिब्रियोमेट्रिक सोसायटी ऑफ इंडिया की तीन दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस-नेस्कॉन-2023 में चिकित्सकों की चर्चा में यह जानकारी सामने आई।
विस्तार से…
नेस्कॉन-2023 के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी, सवाई मान सिंह चिकित्सालय, जयपुर के कान नाक गला विभाग के वरिष्ठ आचार्य डा.पवन सिंघल ने बताया कि एसएमएस हॉस्पिटल में 15 लाइव सर्जरी की गई, जिसका लाइव टेलीकास्ट कॉन्फ्रेंस स्थल पर किया गया। चिकित्सकों की चर्चा में यह भी सामने आया कि बहरेपन के इलाज के लिए लगने वाले कॉक्लियर इंप्लांट में अब तक सर में भी चिप लगाई जाती थी। कई बार चिप फेल होने के कारण मरीज की दोबारा सर्जरी करनी पड़ती थी। पर अब मरीज को दोबारा सर्जरी की जरुरत नही होती। इलेक्ट्रॉनिक फ्री कॉक्लियर इंप्लांट में किसी तरह की चिप का इस्तेमाल नहीं होता।
डॉ.श्रीनिवास डोरासाला ने बताया कि अब भारत में बने कॉक्लियर इंप्लांट काफी एडवांस हैं। इसमें चिप की जगह सिर्फ रिसीवर लगा है, जो बाहर की आवाज को दिमाग की नर्व तक पहुंचाता है। सिर्फ 20 मिनट में यह इंप्लांट लगा दिया जाता है। चिप वाले इंप्लांट में कई मरीजों में यह समस्या आती थी कि चिप के फेल होने पर मरीज की दोबारा सर्जरी करके नया इंप्लांट लगाना पड़ता था। मगर इलेक्ट्रॉनिक्स फ्री कॉक्लियर इंप्लांट में ऐसी समस्या बिल्कुल खत्म हो गई है। राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस नेस्कॉन-2023 में देश दुनियां के 300 से अधिक चिकित्सक भाग ले रहें है। ये चिकित्सक नाक, कान,गले की बढ़ती बीमारियों व इसके इलाज में आई नवीनतम तकनीक को आपस में चर्चा साझा करेंगे।