राजस्थान में 213 नगर पालिका क्षेत्रों में चल रही करीब 1 हजार इंदिरा रसोई में अब मोटे अनाज से बना खाना भी मिलेगा। सरकार ने लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इंदिरा रसोई की थाली में रोटी, दाल और सब्जी के अलावा मोटे अनाज (मिलेट्स) से बना खाना भी सर्व करने के आदेश दिए है। इसके तहत लोगों को बाजरा, गेंहू, ज्वार से बनी खिचड़ी, दलिया, घूघरी मिल सकती है। ये सब सीजन के अनुसार और स्थानीय स्तर पर लोगों की पसंद के अनुसार उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके लिए सभी जिलों के कलेक्टर्स को अपने-अपने जिलों की कुछ रसोईयों में इसका ट्रायल शुरू करवाने के आदेश दिए गए है।
मुख्यमंत्री ने अपने बजट में लोगों के स्वास्थ्य को देखते हुए घरेलू मिलेट्स का उपयोग बढ़ाने की घोषणा की थी। इसमें इंदिरा रसोई में लोगों को इससे बने भोजन को देने के लिए कहा था। इसी के तहत पिछले दिनों स्वायत्त शासन निदेशालय ने सभी कलेक्टर्स को ये आदेश देते हुए मोटे अनाज से बना खाना भी लोगों को खिलाने के लिए कहा है।
वर्तमान में इंदिरा रसोई में एक व्यक्ति को सुबह-शाम खाने में 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी, 250 ग्राम चपाती के अलावा कुछ जगहों पर चावल भी दिए जाते है। सब्जियां सीजन के हिसाब से रसोई संचालक बनाते है, जबकि दाल दोनों समय अनिवार्य है। हर रसोई में सुबह-शाम 100-100 व्यक्तियों यानी कुल 200 व्यक्तियों के भोजन की व्यवस्था होती है।
इन रसोईयों में लोगों को 8 रुपए में खाना बैठाकर खिलाया जाता है। एक दिन में एक व्यक्ति को अधिकतम 4 थाली खाना (2 सुबह और 2 शाम) दिया जाता है। इसके अलावा खाना खिलाने वाली एजेंसी को सरकार प्रति थाली 17 रुपए का अनुदान देती है। सरकार शहरों के बाद अब ग्रामीण कस्बों में भी एक हजार नई रसोईयां खोलने की तैयारी कर रही है। इसके लिए टेण्डर जारी कर दिए है और संस्थाओं से आवेदन मांगे जा रहे है। कलेक्टर की अध्यक्षता में इसके लिए कमेटियां बना दी है, जो इस पूरे काम की मॉनिटरिंग करेगी।

