देश के सरकारी मेंटल हेल्थ केयर हॉस्पिटलों की हालत बहुत खराब है। ये खुलासा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में हुआ है। आयोग के प्रवक्ता जैमिनी कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि देश में 46 सरकारी मेंटल हेल्थ केयर इंस्टीट्यूशंस हैं। इनमें डॉक्टर, स्टाफ, दवाई, साफ-सफाई की कमी देखी जा सकती है। आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव से लेकर, संस्थान के निदेशक, चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी को नोटिस भेजा कर हालात सुधारने के लिए छह हफ्तों की मोहलत दी है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पिछले 3-4 महीनों के दौरान मेंटल हेल्थ केयर सेंटरों की स्थिति का जायजा लिया। आयोग ने शुरुआत ग्वालियर के मेंटल हेल्थ केयर हॉस्पिटल का दौरा की, फिर आगरा और रांची के हॉस्पिटल का भी दौरा किया। इस दौरान सब जगह हालात बहुत खराब दिखे।
साल 2017 के मेंटल हेल्थकेयर एक्ट के अनुसार मेंटल हेल्थकेयर सेंटरों में जो सुविधाएं दी जानी चाहिए, वो यहां नदारद दिखीं। डॉक्टरों और स्टाफ की संख्या मरीजों के हिसाब से बेहद कम है। दवाई की भी भारी कमी देखने को मिली। साफ-सफाई का इन सेंटरों में बुरा हाल दिखा। सुविधाओं के नाम पर इन सेंटरों में कुछ भी नहीं है। इन सेंटरों में कुछ ऐसे लोग देखने को मिले, जो काफी पहले ठीक हो चुके हैं। इन लोगों का पुनर्वास नहीं किया जा रहा। इन लोगों को परिवार नहीं ले रहा। इनके लिए हाफ वे होम के प्रावधान का इंतजाम भी नहीं किया गया है।
सवाल उठता है कि स्वस्थ लोग वहां क्यों रह रहे हैं? क्या सरकार से मिलने वाले ग्रांट को हासिल करने के लिए नंबर बढ़ाने के लिए ऐसा किया जा रहा है? ऐसे में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एक्शन रिपोर्ट मांगी है।

