गुजरात की एक अदालत ने गौ हत्या और धरती की समस्याओं को लेकर खास टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि अगर गौ हत्याएं रोक दी जाएं तो धरती की सारी समस्याएं खुद ब खुद ही सुलझ जाएंगी। एक न्यूज वेबसाइट ने तापी के मुख्य जिला न्यायाधीश समीर विनोदचंद्रा व्यास के हवाले से बताया कि गाय के गोबर के इस्तेमाल से बनाए घरों पर एटॉमिक रेडिएशन का भी असर नहीं होता है। साथ ही गौमूत्र कई लाइलाज बीमारियों के इलाज में कारगर साबित होता है। हालांकि, जज के इन दावों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नवंबर में पारित आदेश में इस बात पर भी असंतोष व्यक्त किया गया था कि गौ रक्षा से संबंधित सभी बातों को व्यवहार में नहीं लाया गया है। ऐसी मान्यता है कि गाय केवल एक जानवर नहीं, बल्कि एक मां है। एक गाय में 68 करोड़ तीर्थ स्थल और 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। कोर्ट ने विभिन्न श्लोक का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर किसी गाय को कष्ट दिया जाए और दुख पहुंचाया जाए तो इसका आपके धन-संपत्ति पर खराब प्रभाव पड़ता है।
न्यायाधीश ने गोहत्या को जलवायु परिवर्तन से भी जोड़ा। जज ने कहा कि आज जो समस्याएं हैं, वे बढ़ती चिड़चिड़ेपन और गर्म स्वभाव के कारण हैं। ऐसी समस्याओं के बढ़ने का एक मुख्य कारण गायों की हत्या भी है। जब तक इस पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जाती है, तब तक सात्विक जलवायु परिवर्तन का कोई असर नहीं दिखने वाला है।

