राइट टू हेल्थ बिल मामले में रविवार को डॉक्टरों और सरकार के बीच हुई वार्ता बेनतीजा रही। जयपुर स्थित सचिवालय में आज दोपहर सीएस उषा शर्मा ने डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता की। प्रतिनिधिमंडल में डॉ सुनील चुघ, डॉ रामदेव, डॉ राकेश, डॉ अर्चना सहित 10 डॉक्टर पहुंचे। सीएस ने डॉक्टरों से पूछा कि बताइये इस बिल में क्या कमियां—खामियां है? डॉक्टरों ने कहा कि वह कमियां—खामियां बताने के लिए नहीं आए है, बल्कि चाहते हैं कि यह बिल निरस्त हो। इस बिल को किसी भी सूरत में मंजूर नहीं किया जाएगा। डॉक्टरों ने कहा कि हमारा आंदोलन का मकसद नो टू आरटीएच है। बिल को निरस्त होने पर ही यह आंदोलन खत्म होगा। इसके बाद डॉक्टर बैठक से बाहर आ गए।
सरकार से वार्ता बेनतीजा रहने के बाद डॉक्टर जेएमए सभागार में आए। यहां उन्होंने प्रेसवार्ता की। डॉक्टरों ने कहा कि सरकार से उनकी वार्ता विफल रही है। सीएस ने उनसे कमियों और खामियों को लेकर बात की, लेकिन उन्होंने बिल को निरस्त करने के लिए कहा। डॉक्टरों ने कहा कि सरकार यह बिल जबरदस्ती डॉक्टरों पर थोपना चाहती है। अभी यह बिल पास नहीं हुआ है। अभी कानून नहीं बना है। उससे पहले जनप्रतिनिधियों द्वारा इस बिल का प्रचार कर जनता में भ्रम फैलाया जा रहा है। आज राजस्थान में ऐसा किया जा रहा है, कल हर राज्य में ऐसा होगा। क्योंकि सभी चुनावों में सीएम बनना चाहते है।
डॉक्टरों ने बताया कि सोमवार को राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में देशभर में निजी अस्पताल बंद रहेंगे। जयपुर में हजारों डॉक्टर सड़क पर उतरेंगे और सरकार के खिलाफ रैली निकालेंगे। इस रैली से सरकार को हमारी ताकत का एहसास होगा। डॉक्टरों ने कहा कि वह अब सीएम से वार्ता करना चाहते है। सीएम से नीचे स्तर पर वार्ता नहीं करेंगे। सीएम के पास शक्ति है, इसलिए सीएम से वार्ता होने पर बिल को निरस्त करने की मांग करेंगे।

