बीकानेर स्थित अश्व अनुसंधान केन्द्र ने भ्रूण स्थानांतरण तकनीक में बड़ी सफलता हासिल की है। वहां देश की पहली सेरोगेट मारवाड़ी घोड़ी ने बछेड़ी को जन्म दिया। भारतीय कृषि अनुसंधान परियोजना के तहत संचालित अश्व अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक इस सफलता से उत्साहित हैं।
भ्रूण स्थानांतरित प्रोद्योगिकी में ब्लास्टोसिस्ट अवस्था (गर्भाधान के 7.5 दिन बाद) में निषेचित भ्रूण को दाता घोड़ी से एकत्र किया गया। इसे प्राप्तकर्ता घोड़ी (सरोगेट मदर) के गर्भाशय में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। नियत समय लगभग 11 महीने बाद सरोगेट घोड़ी ने एक स्वस्थ बछेडी को जन्म दिया। भ्रूण स्थानांतरण से पैदा देश की पहली मारवाड़ी बछेड़ी का नाम वैज्ञानिकों ने राज प्रथमा रखा है। इसका जन्म के समय वजन 23 किलो है। अश्व उत्पादन केन्द्र इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करने वाला देश का पहला संस्थान बन गया है।
देश में मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों की आबादी तेजी से घट रही है। इस नस्ल के संरक्षण एवं प्रसार पर आईसीएआर-एनआरसीई काम कर रहा है। इस दिशा में मारवाड़ी घोड़े की नस्ल के स्पर्म को फ्रीज करने के लिए एक परियोजना शुरू की गई थी। राष्ट्रीय पशुधन मिशन की इस परियोजना में डॉ. टीआर टल्लूरी, डॉ. यशपाल शर्मा, डॉ. आरए लेघा और डॉ. आरके देदार की टीम ने मारवाड़ी घोड़ी में सफल भ्रूण स्थानांतरण किया। अभी तक दस मारवाड़ी घोड़े के स्पर्म को सफलता पूर्वक आधुनिक तकनीक से फ्रीज किया है।

