Saturday, December 2, 2023
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फर्जीं कॉल सेंटर से करोड़ों की ठगी उजागर

जयपुर की चित्रकूट थाना पुलिस ने एक फर्जी कॉल सेंटर पकडा है। कॉल सेंटर पर फर्जीवाडा इतना गोपनीय तरीके से हो रहा था कि वहां काम करने वाले अधिकतर स्टाफ तक को यह नहीं पता था कि वे कॉल सेंटर पर नहीं ठग सेंटर पर काम कर रहे हैं। कई सप्ताह से चल रहे इस कॉल सेंटर को चलाने वाले और मकान मालिक को तलाशा जा रहा है।

कॉल सेंटर पर काम करने वाले 32 लोगों को पकडा गया है, इनमें लड़कियां भी शामिल हैं। ये लोग दिल्ली, यूपी, एमपी, बिहार, राजस्थान, मेघालय आदि से आए हुए हैं। इनकी पगार पंद्रह हजार रूपए से लेकर चालीस हजार रुपए तक रखी गई थी। पूरा मामला करोड़ों रुपयों की ठगी का है।

इंटरनेट के जरिए ठगने की यह विद्या इतनी तगड़ी निकली कि पुलिस अफसर तक हैरान हो गए। पुलिस ने कल दोपहर में करीब एक बजे इस सेंटर पर रेड की और कार्रवाई शाम सात बजे तक भी चलती रही। यह सेंटर चित्रकूट मार्ग, राम जानकी टॉवर के कमरा नंबर तीन से पांच में चल रहा था। चित्रकूट थाना पुलिस ने ही इस मामले में केस दर्ज कराया है। पुलिस को इस बारे में एक मुखबिर से सूचना मिली थी। उसके बाद पुलिस ने छापा मारा। पुलिस ने बताया कि टॉवर के हॉल में छोटे छोटे केबिनो मे कम्प्यूटर सिस्टम चलाते हुये लङके व लङकीयाँ मिले। पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया। हाँल मे कुल 32 युवक, युवतियाँ हैडफोन सिस्टम से काँलिंग करते हुये मिले।

उक्त काँलिंग सेन्टर का संचालन करने वाले व्यक्ति ने अपना नाम दीपक शाह बताया। वह यूपी का रहने वाला है। दीपक के बारे में पूछताछ के बाद एक युवक से पूछताछ की गई तो पता चला कि वह टैक्निकल सपोर्ट का काम करता है और अमन नाम का युवक यहाँ का सारा मेनेजमेन्ट तथा इस काम में शामिल दूसरे साथीयों और मालिकों द्वारा बताये काम करता है। कॉल सेंटर का मालिक दिलीप तंवर उर्फ सैण्डी है, जो फरार है। बिल्डिंग के मालिक सूरज यादव को भी काँल सेन्टर में गलत काम की जानकारी थी। काँलिंग के काम में कोई रूकावट न आये इसकी पूरी जिम्मेवारी बिल्डिंग मालिक सूरज यादव की थी।

दीपक ने पुलिस को बताया कि यहाँ का मुख्य कम्प्यूटर सिस्टम उसके पास है। वे मुख्यतया अमरीका मे अपने टारगेट चुनते। काम करने वालो को वैण्डर, डायलर, क्लोजर आदि नाम दिया गया था। वैण्डर दिलीप तंवर उर्फ सैण्डी को टारगेट की डेटा इन्फाँर्मेशन देता है। सैण्डी दीपक को टेलिग्राम ग्रुप के जरिये बताता है। वेण्डर टारगेट के सिस्टम को हैक करके उस पर एक मैसेज भेजता है, जिसमें टारगेट को इस आशय का मैसेज प्रदर्शित होता है कि आपका सिस्टम हैक हो चुका है। आप माईक्रोसाँफ्ट के कस्टमर केयर पर काँल करके हैल्प ले सकते है और एक टोल फ्री नम्बर 888 809.9574 इस मैसेज के साथ शो होता है। वेण्डर द्वारा टारगेट को मैसेज भेजने के बाद सैण्डी के मार्फत टेलिग्राम ग्रुप पर टारगेट को काँल करने व सुनने के लिये मैसेज भेजा जाता है। इस काँलिंग के लिये दो एप्लीकेशन यूज की जाती हैं। वेण्डर रिंग सैन्ट्रल को लाँग इन करने के लिये अमरीका की आई डी और पासवर्ड जनरेट करता है। जब टारगेट के कम्प्यूटर सिस्टम पर हैक होने का मैसेज आता है तो टारगेट मैसेज में दिये टोल फ्री नम्बर 888 809.9574 पर कॉल करता है। यह नम्बर इसी काँल सेन्टर पर रिसीव होता है, जिसे डायलर सुनते। टारगेट अपने ओरिजनल मोबाईल नम्बर से काँल करता है, जो हमारे एप्लीकेशन पर प्रदर्शित होता है, लेकिन यह काँलिंग हिस्ट्री समय समय पर कम्प्यूटर सिस्टम से डिलीट होती रहती है।

टारगेट के कॉल करने पर उसकी तमाम जानकारी जुटाकर उसके खाते खाली कर दिए जाते। इस तरह के मामलों में अक्सर छोटे कर्मचारी फंसते, जिनको ज्यादा जानकारी नहीं होती।

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