बिहार में जाति सर्वेक्षण पर पटना हाईकोर्ट के रोक के खिलाफ नीतीश सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने सुनवाई की। जिसके बाद बिहार सरकार को एक बार फिर खाली हाथ लौटना पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को पटना हाईकोर्ट के खाते में डाल दिया। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर 14 जुलाई को सुनवाई करेगा।
आज की सुनवाई में जस्टिस ओका ने कहा कि पटना हाईकोर्ट के अंतरिम फैसले में काफी हद तक स्पष्टता है। वहां से अंतिम फैसला आए बगैर इसपर सुनवाई नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट इसमें अंतरिम राहत नहीं दे सकता है। हाईकोर्ट अपनी दी हुई तारीख 3 जुलाई पर सुनवाई कर फैसला नहीं देगा तो सुप्रीम कोर्ट दलील सुनेगा। पटना हाईकोर्ट से अपने खिलाफ अंतरिम आदेश को देखकर बिहार सरकार अगली तारीख का इंतजार किये बिना सुप्रीम कोर्ट में मामला लेकर पहुंच गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की अर्जी पर आदेश देने और पटना हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा अगर पटना हाईकोर्ट तय समय पर सुनवाई नही करता है तो याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट आ सकते है। बिहार सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया था कि पटना हाईकोर्ट ने मामले में पूरा पक्ष नहीं सुना और जाति सर्वेक्षण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी, जबकि सर्वे का 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।

