विदेशों में भारतीय दवाओं पर सवाल खड़े होने के बाद केंद्र सरकार ने सख्ती शुरू कर दी है। दवाओं की गुणवत्ता को लेकर जारी जांच अभियान में पिछले 6 महीनों के भीतर देश की 134 कंपनियों का निरीक्षण किया जा चुका है। सरकार ने सबसे बड़ी कार्रवाई हिमाचल प्रदेश में की गई है। वहां अब तक 26 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। 11 कंपनियों के उत्पादन पर रोक लगाकर दो फार्मा कंपनियां बंद की गई हैं।
केंद्रीय स्वानस्य्रक मंत्रालय के एक उच्चाधिकारी ने ने बताया कि विदेशों में भारतीय दवाइयों पर सवाल उठने के बाद से डीसीजीआई और स्टेट ड्रग रेगुलेटर ने प्रोडक्ट की गुणवत्ता परखने को लेकर निरीक्षण अभियान तेज़ किया है। तीन अलग-अलग चरणों में अब तक 134 दवा कंपनियों की जांच की गई है।
इसमें खराब गुणवत्ता की दवा तैयार करने का जिन कंपनियों का पिछले तीन साल का रिकॉर्ड था, उन कंपनियों के नाम का डेटा बनाया गया। इनमें वो कंपनियां शामिल की गई हैं, जो 2019-22 के दौरान 11 से ज़्यादा बार गुणवत्ता युक्त दवा बनाने में फेल रहीं।
सूत्रों के अनुसार पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, पुद्दुचेरी, केरल, जम्मू, सिक्किम, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश में 1-1 दवाई कंपनियों का इंस्पेक्शन किया गया है। हिमाचल प्रदेश की 26 यूनिट को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। 16 कंपनियों को उत्पादन रोकने के आदेश दिए गए हैं, जबकि 5 कंपनियों से यह आदेश हटाए गए हैं। फिलहाल 11 दवा कंपनियों पर उत्पान रोक लागू है।

