
दलित ईसाइयों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस देकर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता नेशनल काउंसिल ऑफ क्रिश्चियन्स ने अपनी अर्जी में कहा है कि धर्म परिवर्तन के बावजूद उनकी पिछड़ी सामाजिक दशा में कोई बदलाव नहीं आया है। लिहाजा उनको भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि मुस्लिमों पर भी यही लागू होता है। हम जल्द इस मामले में सुनवाई करेंगे।
याचिका में कहा गया है कि धर्म परिवर्तन के बाद निचली जातियों के खिलाफ सामाजिक भेदभाव समाप्त नहीं होता है, इसलिए कोर्ट इस पर संज्ञान ले और आरक्षण देने का प्रावधान कराए। आंध्र प्रदेश में इससे जुड़ा एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें केंद्र सरकार से अपील की गई कि दलित ईसाइयों को भी अनुसूचित जाति के लोगों की तरह आरक्षण का लाभ मिले। यह प्रस्ताव तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पेश किया था।