
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि आपराधिक केस में बरी होने मात्र से निलंबित या निरस्त शस्त्र लाइसेंस की बहाली नहीं की जा सकती।शस्त्र लाइसेंस विशेषाधिकार है, नागरिक का मूल अधिकार नहीं है।
न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने इंद्रजीत सिंह की याचिका निपटाते हुए कहा, जानलेवा हमला करने का आरोपी बाइज्जत बरी हुआ है या संदेह का लाभ लेकर या अभियोजन की आरोप साबित करने की नाकामी के चलते बरी हुआ है, इन तथ्यों पर विचार कर प्राधिकारी की संतुष्टि पर निर्भर करेगा कि लाइसेंस बहाली हो या निरस्त रखा जाय। कोर्ट ने जानलेवा हमले के आरोपी शमशेरी के संदेह का लाभ लेकर बरी होने पर निरस्त शस्त्र लाइसेंस बहाल न करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इन्कार कर कहा कि अपराध में शस्त्र का इस्तेमाल किया गया, इस कारण शस्त्र बहाल न करने का आदेश सही है।
याची का कहना था कि वह आपराधिक केस में बरी हो चुका है, इसलिए केस लंबित होने के कारण निरस्त शस्त्र लाइसेंस बहाल किया जाय। इस पर सवाल उठा कि क्या केस में बरी होने मात्र से निलंबित या निरस्त शस्त्र लाइसेंस बहाल किया जाना चाहिए? हाईकोर्ट ने कहा कानून में स्पष्ट नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में स्थित स्पष्ट की गई है। यह केस की परिस्थितियों व प्राधिकारी की संतुष्टि पर निर्भर करेगा।