
अलवर जिले के भिवाड़ी में उद्योगों और सीवरेज का पानी बिना ट्रीट कर हरियाणा में छोड़ने को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कड़ा रुख अपनाया है। एनजीटीने रीको (राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन) के अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई है। कॉमन इंफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट पर जेडएलडी (जीरो लिक्विड डिस्चार्ज) नहीं लगाने पर नाराजगी जताते हुएरीकोऔर स्वायत्त शासन विभाग को 31 करोड़ का पर्यावरणीय मुआवजा केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड को एक महीने में जमा करवाने के आदेश दिए हैं।
भिवाड़ी में समय पर 5 एसटीपी नहीं बनाने पर स्वायत्त शासन विभाग से 22.33 करोड़ रुपए का मुआवजा वसूला जाएगा। औद्योगिक कचरे के लिए रीकोऔर भिवाड़ी नगरपालिका को मिलकर 1.45 करोड़ का मुआवजा जमा करवाना होगा। ट्रीटमेट प्लांटके पानी के रियूज पर रोको 6.72 करोड़ और प्लांटपर 1 करोड़ का मुआवजा जमा करवाना होगा।
एनजीटीके आदेशों के अनुसारभिवाड़ी ट्रीटमेंट प्लांटमें जेडएलडीबनाने के लिए केंद्र सरकार ने 146 करोड़ रुपए मंजूर किए। केंद्र से पैसा मिलने के तीन साल बाद भी अब तक रीकोइस प्लांट का टेंडर तक नहीं कर पाया। एनजीटीने इस ढिलाई पर भी नाराजगी जताते हुए रीको से जल्द इसका टेंडर कर काम पूरा करने को कहा है ताकि आगे पर्यावरण का नुकसान रोका जा सके। आदेश में लिखा है, रीकोने केवल जमीन अधिग्रहण करके काम प्रगति पर होने की बात लिखी है। यह समस्या का समाधान नहीं है।
यह मामला राजस्थान के औद्योगिक क्षेत्र भिवाड़ी में ट्रीटमेंट प्लांटसे होने वाले प्रदूषण से जुड़ा है। दिसंबर 2017 में हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनजीटीमें मामला दायर किया था। इसके बाद एनजीटीने रीकोसे भिवाड़ी के उद्योगों से निकलने वाले जहरीले पानी को रोकने के उपाय करने औरट्रीटमेंट प्लांटसे निकलने वाले डिस्चार्ज रोकने के आदेश दिए। एनजीटी के आदेश के बावजूद आज तक कुछ नहीं हुआ। भिवाड़ी के उद्योगों से जहरीला पानी हरियाणा के धारुहेड़ा और राजस्थान के भिवाड़ी और आसपास के लोगों के लिए समस्या बना हुआ है।