
जयपुर में डोर टू डोर कचरा उठाने वाली बीवीजी इंडिया कंपनी के 276 करोड़ रुपए के बकाया भुगतान के बदले 20 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने से जुड़े मामले में आज राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में संघ प्रचारक निंबाराम को राहत बरकरार रखते हुए किसी भी कार्रवाई पर रोक के आदेश दिए हैं। राजकीय अधिवक्ता मंगल सिंह सैनी ने कोर्ट में फैक्चुअल रिपोर्ट पेश की।
हाईकोर्ट में जस्टिस फरजंद अली की कोर्ट ने राजकीय अधिवक्ता को केस डायरी सहित ऑडियो और वीडियो पेश करने के आदेश दिए। तब तक निंबाराम पर किसी भी कार्रवाई पर रोक के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट गुरूचरण गिल ने पैरवी की। अब 22 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई होगी।
राजकीय अधिवक्ता सैनी ने बताया कि कोर्ट में निंबाराम की ओर से पेश एडवोकेट ने झूठा फंसाने का आरोप लगाया। यह भी कहा कि निंबाराम मामले में पहले से कोर्ट ने स्टे दे रखा है। कोर्ट में इसका विरोध करते हुए जानकारी दी गई कि पूर्व में कोई स्टे कोर्ट से नहीं दिया गया, बल्कि 15 दिन में एसीबी के सामने जाकर स्पष्टीकरण देन के लिए निंबाराम को पेश होने को कहा था। राजकीय अधिवक्ता ने कहा हाईकोर्ट में गलत तथ्य पेश किए जा रहे हैं। इस पर कोर्ट ने 22 फरवरी को ऑडियो-वीडियो पेन ड्राइव पेश करने के आदेश दिए। अब अगली सुनवाई पर कोर्ट उन ऑडियो वीडियो को देखेगी और सुनेगी।
इससे पहले 29 सितम्बर को भी हाईकोर्ट से निंबाराम को राहत मिली थी। कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए एसीबी में जांच के लिए पेश होने के आदेश दिए थे। निंबाराम हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी और कुछ दस्तावेज लेकर एसीबीमुख्यालय में एडीसीपी राजेंद्र नैन के समक्ष पेश हुए। निंबाराम से इस दौरान कई सवाल-जवाब किए गए। जांच अधिकारी ने उनसे कई दस्तावेज भी मांगे। उन्होंने कुछ दिनों के बाद दस्तावेज भी दिए। मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर और बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि ओमकार सप्रे को लेकर भी उनसे पूछताछ की गई थी।
पिछले साल एसीबीने नगर निगम ग्रेटर जयपुर की महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर, बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि ओमकार सप्रे, मैनेजर संदीप चौधरी और आरएसएस प्रचारक निंबाराम के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। निंबाराम पर लेनदेन की बातचीत में सहयोगात्मक भूमिका का आरोप लगाया था। वीडियो में राजाराम, ओमकार सप्रे, संदीप चौधरी के साथ निंबाराम भी बातचीत करते हुए नजर आए थे। इसके बाद निंबाराम ने एसीबी में दर्ज एफआईआरऔर कार्रवाई को रद्द करवाने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। निंबाराम की ओर से कहा गया कि प्रकरण में याचिकाकर्ता का नाम राजनीतिक द्वेष के चलते शामिल किया है। सत्तारूढ़ पार्टी के नेता सार्वजनिक मंच पर उनके खिलाफ बयानबाजी कर प्रस्ताव पारित कर रहे हैं और उनकी गिरफ्तारी के बयान दे रहे हैं।