
भारत में कोरोना महामारी के चलते विद्यार्थियों की पढ़ाई को हुए नुकसान के मद्देनजर ई-कंटेंट और ई-लर्निंग को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी क्रम में जल्द ही पहली सरकारी डिजिटल यूनिवर्सिटी खुलने जा रही है। बदलते युग में डिजिटल शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। 2022 के बजट प्रस्तावों में कहा गया है कि वन क्लास वन टीवी चैनल कार्यक्रम को बढ़ाया जाएगा। छात्र-छात्राएं टीवी, मोबाइल और रेडियो के माध्यम से अपनी क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे।
डिजिटल इंडिया की क्रांति
युवा शक्ति से भरपूर भारत दुनिया के शक्तिशाली देशों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सके, उसके लिए भारत का आधुनिक तकनीक से लैस होना जरूरी है। इसीलिए यूनिवर्सिटी से लेकर करेंसी तक, स्वास्थ से लेकर शिक्षा तक सब कुछ डिजिटल हो रहा है। जिस डिजिटल इंडिया की रूपरेखा 2015 में खींची गई थी वो अब क्रांति बन चुकी है। ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने से लेकर बिजली पानी का बिल भरना हो, ऑनलाइन पेमेंट या फिर इनकम टैक्स रिटर्न भरना हो, सब कुछ डिजिटल होने का कोरोना काल में इसका बहुत फायदा भी मिला है। बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा, लोगों के बैंक खातों में पैसों के सीधे ट्रांसफर तथा कोविन ऐप के जरिए संक्रमितों की ट्रेसिंग और वैक्सीनेशन का महा अभियान चलाकर भारत ने डिजिटल इंडिया के संकल्प को साकार किया था।
तेजी से आत्मनिर्भर होते भारत में समुचित और समग्र विकास के लिए डिजिटल क्रांति की जो शुरुआत कुछ साल पहले हुई थी, उसे पूरा करने का संकल्प अब आगे बढ़ाया जा रहा है। आज भारत में एक ओर इनोवेशन का जुनून है तो दूसरी तरफ उन आविष्कारों को तेजी से अपनाने का जज्बा भी है। डिजिटल टेक्नोलॉजी में भारत की क्षमता पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ी है। शहर से लेकर गांव तक इसका प्रचार-प्रसार बढ़ा है और लोगों ने आधुनिक तकनीक को अपनाकर जिंदगी आसान की है। उम्मीद की जा रही है कि अब एक क्लिक में दुनिया मुट्ठी में होगी। डिजिटल क्रांति को भारत में अलग-अलग स्तरों पर बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी क्रम में डिजिटल यूनिवर्सिटी की स्थापना की जा रही है।
सबकुछ ऑनलाइन
दुनिया की कई यूनिवर्सिटीज में पूरी तरह ऑनलाइन डिग्रियां दी जाती हैं। ये यूनिवर्सिटीज ऑफलाइन एजुकेशन यानी कैंपस में पढ़ाई के साथ साथ ऑनलाइन शिक्षा भी उपलब्ध कराती हैं, लेकिन पूरी तरह डिजिटल तौर पर काम करने वाली यूनिवर्सिटी नहीं है। दरअसल डिजिटल यूनिवर्सिटी एक ऐसी यूनिवर्सिटी होती है, जो छात्रों को कई तरह के कोर्स और डिग्रियों की शिक्षा पूरी तरह ऑनलाइन उपलब्ध कराती है। डिजिटल यूनिवर्सिटी में एक कैंपस होता है, जहां टीचर और स्टाफ होते हैं। इस कैंपस के जरिए ही अलग-अलग जगहों पर मौजूद छात्रों को अलग-अलग कोर्सों की ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है। अब सवाल यह है कि देश में पहले से ही मौजूद इग्नू यानी इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी या सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी जैसे डिस्टेंस लर्निंग सुविधा देने वाले संस्थानों तथा डिजिटल यूनिवर्सिटी में फर्क क्या है? दरअसल डिस्टेंस लर्निंग या दूरस्थ शिक्षा उपलब्ध कराने वाले संस्थान ऑनलाइन क्लासेज नहीं चलाते, वो संबंधित कोर्स का स्टडी मैटेरियल छात्रों को पोस्ट के जरिए उनके घर पर भेज देते हैं, पढऩे की जिम्मेदारी खुद छात्रों की होती है। लेकिन ऑनलाइन यूनिवर्सिटीज नियमित क्लासें उपलब्ध कराती हैं। डिजिटल लर्निंग या डिजिटल यूनिवर्सिटी से छात्र घर बैठे ही ऑनलाइन पढ़ाई कर सकेंगे। ये ऑनलाइन प्रोग्राम्स के जरिए शिक्षा देती हैं। सेलेबस और दूसरी जानकारी ऑनलाइन मेल पर जारी की जाती है। ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रोग्राम के जरिए छात्र पढ़ाई करते हैं। इस यूनिवर्सिटी के माध्यम से किसी भी छात्र का बाहर गए बिना, घर बैठे ही किसी शहर की टॉप यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने का सपना पूरा हो सकेगा।
हब-स्पोक मॉडल
डिजिटल यूनिवर्सिटी की स्थापना इनफार्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी फॉर्मेट पर होगी, जो हब एंड स्पोक मॉडल नेटवर्क पर काम करेगी। हब एंड स्पोक एक ऐसा डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल होता है, जिसमें सब कुछ एक सेंट्रलाइज हब से पैदा होता है और फिर अंतिम उपभोग के लिए छोटे स्थानों यानी स्पोक तक जाता है। डिजिटल यूनिवर्सिटी के संदर्भ में हब यूनिवर्सिटी है और स्पोक छात्र हैं। जाहिर है स्कूली शिक्षा और रोजगार के पाठ्यक्रमों से वंचित बेरोजगार युवाओं के लिए डिजिटल यूनिवर्सिटी एक बड़ा प्लेटफार्म साबित होगी। इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि एक ही प्लेटफार्म पर छात्रों को देश दुनिया की बड़ी यूनिवर्सिटीज से जुडऩे का मौका मिलेगा, चाहे छात्र देश के किसी भी कोने में बैठा हो। देश की प्रमुख सेंट्रल यूनिवर्सिटीज की मदद से इसकी शुरुआत की जाएगी।
विदेशों में डिजिटल यूनिवर्सिटी इसी पैटर्न पर काम कर रही हैं। स्पेन की मिया यूनिवर्सिटी इसका एक उदाहरण है। वहां ऑनलाइन मास्टर, सर्टिफिकेट और एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम चलाए जाते हैं। इसे ऑनलाइन पूरा किया जा सकता है। कई विषयों में कोर्सेज उपलब्ध हैं, जैसे-फैशन, मार्केटिंग, बिजनेस, कंप्यूटर साइंस आदि। डिजिटल यूनिवर्सिटी द्वारा घर-घर शिक्षा पहुंचेगी। विद्यार्थियों को यह सुविधा कई क्षेत्रीय भाषाओं में प्राप्त होगी।
वैसे, डिजिटल यूनिवर्सिटी बनाने का ऐलान भले ही वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में किया है, लेकिन देश में पहली डिजिटल यूनिवर्सिटी फरवरी 2021 में केरल में खुल चुकी है और दूसरी राजस्थान के जोधपुर में बनाई जा रही है। यहां 400 करोड़ रुपए की लागत से 30 एकड़ क्षेत्र में डिजिटल यूनिवर्सिटी बनाई जा रही है।
वास्तव में डिजिटल यूनिवर्सिटी का सपना तो तभी सफल हो पाएगा, जब सभी बच्चों के पास पढ़ाई के लिए मोबाइल या टीवी की सुविधा उपलब्ध हो जाए। अभी तो बहुत से बच्चे इस सुविधा से वंचित हैं तो वे कैसे इसका लाभ उठा पाएंगे? सरकार को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।
हालांकि, प्रधानमंत्री ई-विद्या योजना के तहत एक चैनल एक क्लास योजना को 12 टीवी चैनलों से 200 टीवी चैनलों तक बढ़ाए जाने की योजना है। इस पर पहली से 12वीं तक की कक्षा के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी। टीवी, मोबाइल और रेडियो के माध्यम से सभी क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा मुहैया कराई जाएगी। तब गरीब छात्रों को स्मार्टफोन की कमी और दूरदराज के इलाकों में नेटवर्क की समस्या नहीं झेलनी पड़ेगी। टीवी चैनलों से पढाई होने पर किसी भी छात्र को ऐसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। – रंजना