झटपट लोन देने वाली कंपनियों की मनमानी रोकने के लिए रिजर्व बैंक डिजिटल लेंडिंग के लिए अगले दो महीने में दिशा-निर्देश जारी करेगा। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति का ऐलान करते हुए यह जानकारी दी।
दास ने बताया कि डिजिटल लेंडिंग पर वर्किंग ग्रुप के सुझाव पर काफी सारे कमेंट्स आए हैं। इनकी जांच पूरी हो चुकी है। अब इस पर आंतरिक चर्चा होगी और एक-दो महीने में देशा-निर्देश को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। रिजर्व बैंक को डिजिटल लेंडिंग ऐप और प्लेटफॉर्म के पीड़ित ग्राहकों की शिकायतें लगातार मिलती रहती हैं। शक्तिकांत दास ने कहा कि कई बार हमें ये शिकायतें सोशल मीडिया के जरिए मिली हैं। हम तुरंत ऐसे मामलों की जांच करते हैं।
ये कंपनियां ऐप पर ग्राहकों को फटाफट लोन दे देती हैं, मगर इनकी ब्याज दर बहुत ज्यादा होता है। बिना पूरी पड़ताल किए ग्राहक ऐसे ऐप से लोन ले लेते हैं। समय पर लोन नहीं चुका सकने वाले ग्राहकों से रिकवरी के लिए ये कंपनियां अनैतिक तरीकों का इस्तेमाल करती हैं और जोर-जबर्दस्ती करती हैं। रिजर्व बैंक ने चाइनीज ऐप के बहुत ज्यादा ब्याज पर कर्ज देने और रिकवरी में ज्यादती करने की खबरें आने के बाद 13 जनवरी, 2021 को एक वर्किंग ग्रुप बनाया था। आरबीआई के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर जयंत कुमार दास इस ग्रुप के प्रमुख थे। ग्रुप ने पिछले साल नवंबर में अपनी रिपोर्ट दे दी थी।
वर्किंग ग्रुप का मानना है कि सिर्फ प्रमाणित फिनटेक कंपनियों को ही लोन देने की इजाजत होनी चाहिए। बाय-नाउ-एंड-पे-लेटर (बीएनपीएल) सहित सभी फिनेटक कंपनियों को गाइडलाइंस का पालन करना जरूरी होगा। ये गाइडलाइंस कैपिटल फ्लोट, स्लाइस, जेस्टमनी, पेटीएम, भारतपे और यूएनआई जैसे बीएनपीएल खिलाड़ियों पर भी लागू होगी।
