
राजस्थान में हर तीसरे दिन एक बेटी लावारिस छोड़ी जा रही है। साल 2020 से फरवरी 2022 तक राजस्थान में कुल 419 लावारिस बच्चे मिले, इनमें 238 नवजात बच्चियां थीं। प्रदेश के तीन जिले—जोधपुर, जयपुर और अलवर ऐसे हैं, जहां सबसे अधिक नवजात मां के आंचल से दूर किए जा रहे हैं।
ताजा घटना 10 अप्रैल रात की है, जब जैसलमेर जवाहर अस्पताल में पालना गृह का सायरन बजा। कर्मचारी ने देखा तो पालने में एक मासूम बच्ची थी। बच्ची को हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया है। डॉक्टर ने बताया कि बच्ची का वजन सही है और स्वस्थ है। वहीं, चूरू में 4 दिन पहले एक मासूम को जन्म के बाद ही कीचड़ में फेंक दिया गया।
प्रदेश में ऐसे हर साल सैकड़ों केस सामने आ रहे हैं। महिला बाल विकास मंत्रालय के केयरिंग पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में प्रदेश में 187 नवजात बच्चे लावारिस मिले। वहीं साल 2021 में ये आंकड़ा बढ़कर 206 हो गया। इन 206 में से 114 लड़कियां थी। चालू वर्ष 2022 में फरवरी माह तक 26 बच्चों को लावारिस हाल में छोड़ दिया गया। इनमें 14 बच्चे और 12 नवजात बच्चियां थी। जोधपुर में पिछले साल सर्वाधिक 40 नवजात मिले, जिनमें 25 बच्चियां थीं। दूसरे नंबर पर जयपुर रहा। यहां कुल 29 बच्चों में 21 बच्चियां थीं। उसके बाद अलवर में 19 लावारिस बच्चे मिले, जिनमें 10 बेटियां थीं।