
दिल्ली हाई कोर्ट में वक्फ एक्ट के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि ये कानून अनुच्छेद 14-15 का उल्लंघन करता है। लिहाजा सभी के लिए एक समान कानून की मांग की गई है।
वक्फ एक्ट-1995 की विभिन्न धाराओं की संवैधानिक वैधता के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका को भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर किया गया है। याचिका में कहा गया है कि ये अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14-15 का उल्लंघन करता है, क्योंकि ये वक्फ बोर्डों को किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत करने के लिए बेलगाम शक्तियां देता है और अन्य समुदायों के लिए उनकी संपत्तियों को सूची में शामिल होने से बचाने के लिए कोई सेफगार्ड नहीं है। भाजपा नेता ने अपनी याचिकाओं के माध्यम से ट्रस्टों, धर्मार्थ और धार्मिक संस्थानों के लिए एक समान कानून बनाने के लिए निर्देश देने की मांग की। उन्होंने कहा कि वक्फ कानून देश की धर्मनिरपेक्षता, एकता और अखंडता के खिलाफ है, क्योंकि अन्य समुदायों के अनुयायियों के लिए ऐसा कोई समान कानून नहीं है।
याचिका में यह भी मांग की गई है कि धार्मिक संपत्तियों से जुड़े विवाद का निर्णय सिविल कोर्ट द्वारा केवल सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 9 के तहत किया जाएगा, न कि वक्फ ट्रिब्यूनल करेगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में भी वक्फ ऐक्ट के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, लेकिन उसपर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था।