राजस्थान में पुरानी पेंशन योजना की बहाली ने अन्य राज्यों में भी गरमी बढा दी है। खासकर चुनावी प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग तेज होने लगी है। साल के अंत में गुजरात और हिमाचल विधासभा के चुनाव हैं, इसलिए सबसे मुखरता से ये मांग इन्हीं दोनों राज्यों में उठ रही है। हिमाचल में तो इसको लेकर एक कमेटी भी गठित कर दी गई है। मगर कोई निर्णय न होने से कर्मचारी धरने और प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी तरह गुजरात में कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की मांग को लेकर अब सड़कों पर आ गए हैं।
गुजरात के गांधी नगर में पुरानी पेंशन व्यवस्था को फिर से शुरू करने, फिक्स वेतन व्यवस्था को खत्म करने और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने सहित कई मांगों को लेकर राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के कर्मचारियों ने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। गुजरात राज्य संयुक्त कर्मचारी मोर्चा (जीएसयूईएफ) के बैनर तले गांधीनगर के सत्याग्रह छावनी में लगभग सभी सरकारी विभागों के कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
दावा किया जा रहा है कि कई महीनों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। कांग्रेस पिछले कुछ समय से पुरानी पेंशन योजना के मुद्दे को जोर शोर से उठा रही है। कांग्रेस शासित राज्यों, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन योजना को बहाल भी किया जा चुका है। ऐसे में भाजपा शासित राज्यों पर भी इसको लेकर भारी दबाव है। कई प्रदेशों के सरकारी कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम फिर से लागू करने की मांग कर ही रहे हैं। ऐसे में चुनावी राज्य में कांग्रेस भी इस मुद्दे को जोर शोर से उठा रही है।
मौजूदा नई पेंशन स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारी के मूल वेतन से 10 प्रतिशत राशि काटी जाती है और उसमें सरकार 14 फीसदी अपना हिस्सा मिलाती है। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। पुरानी पेंशन योजना में रिटायर्ड कर्मचारियों को सरकारी कोष से पेंशन का भुगतान किया जाता था। वहीं, नई पेंशन योजना शेयर बाजार आधारित है और इसका भुगतान बाजार पर निर्भर करता है।
