
भाजपा की पूर्व नेता नूपुर शर्मा द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय की पीठ द्वारा की गई मौखिक टिप्पणियों का जहां अखिल भारतीय बार एसोसिएशन (एआईबीए) ने समर्थन करते हुए इनको ‘निकालने’ की मांग को खारिज कर दिया है, वहीं, कुछ पूर जजों तथा नौकरशाहों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि शीर्ष कोर्ट ने लक्ष्मण रेखा लांघी है।
एआईबीए की ओऱ से सुप्रीम कोर्ट को लिखे पत्र आग्रह किया गया है कि वह अपनी टिप्णियों को मत निकाले। माननीय न्यायाधीशों ने नूपुर शर्मा की टिप्पणियों से उत्पन्न सार्वजनिक व्यवस्था की गड़बड़ी और सुरक्षा खतरे से व्यथित होकर, कुछ महत्वपूर्ण और सामयिक टिप्पणियां कीं, जो कर्तव्यनिष्ठ और राष्ट्रीय हित में हैं।
इसलिए, एआईबीए ने भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन.वी. रमण से अनुरोध किया है कि वह सर्वोच्च न्यायालय की माननीय खंडपीठ द्वारा की गई उन प्रतिकूल टिप्पणियों को वापस लेने की मांग करते हुए अपने प्रभुत्व के समक्ष दायर किसी भी पत्र या याचिका पर कोई संज्ञान न लें।
दूसरी ओर नूपुर शर्मा के मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की टिप्पणी से पूर्व जज और ब्यूरोक्रेट्स नाराज हैं। इन लोगों ने भी सीजेआई एनवी रमना को एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने लक्ष्मण रेखा लांघी है और नूपुर के मामले में तुरंत अदालत को सुधार संबंधी कदम उठाने चाहिए। यह भी कहा कि जस्टिस सूर्यकांत त्रिपाठी की टिप्पणियों और आदेशों को वापस लेने का निर्देश दिया जाए। चिट्ठी में 15 रिटायर्ड जजों, 77 रिटायर्ड नौकरशाहों और 25 रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों के दस्तखत हैं।
हस्ताक्षर करने वालों में केरल हाईकोर्ट के जस्टिस पीएस रविंद्रन, बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस क्षितिज व्यास, गुजरात हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एसएम सोनी, राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस आरएस राठौर और प्रशांत अग्रवाल, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एसएन ढींगरा शामिल हैं। इनके अलावा पूर्व आईएएस अधिकारी आरएस गोपालन और एस कृष्ण कुमार, राजदूत (रिटायर) निरंजन देसाई, पूर्व डीजीपी एसपी वैद, बी एल वोहरा, लेफ्टिनेंट जनरल वी के चतुर्वेदी (रिटायर) ने भी हस्ताक्षर किए हैं। इन लोगों ने कहा कि नूपुर के केस में सुप्रीम कोर्ट के जजों के कमेंट न्यायिक मूल्यों से मेल नहीं खाते हैं।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने उदयपुर और अमरावती में हुई हत्याओं के लिए भाजपा की पूर्व नेता नूपुर शर्मा को जिम्मेदार बताया था। इसके बाद से दोनों जजों निजी हमले किए जा रहे हैं। नूपुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई करने वाली बेंच का हिस्सा रहे एक जज ने इन हमलों पर आपत्ति भी जताई है। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला ने एक कार्यक्रम में कहा कि न्यायाधीशों पर उनके फैसलों के लिए व्यक्तिगत हमले करना खतरनाक है।