
झारखंड के जामताड़ा में लगभग 100 सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां मुस्लिम आबादी बढ़ते ही साप्ताहिक अवकाश रविवार से बदलकर शुक्रवार कर दिया गया है। क्योंकि जुमे के दिन न तो विद्यार्थी आते हैं और न ही शिक्षक। बाकायदा स्कूल की दीवार पर भी शुक्रवार को जुमे के दिन के रूप में परिभाषित किया गया है। पिछले दिनों यहां के एक स्कूल में मुस्लिम आबादी ज्यादा होने के कारण बच्चों के हाथ जोड़कर प्रार्थना करने का नियम बदलने का मामला भी सामने आ चुका है।
जिले के अधिकांश इलाकों में अल्पसंख्यकों की आबादी ज्यादा है। उन इलाकों में स्थानीय लोगों ने स्कूलों में अपने मुताबिक छुट्टी का दिन तय कर दिया है, जिसे मानने के लिए स्कूल प्रशासन भी विवश है। ग्रामीण प्रधानाध्यापक और शिक्षकों पर दबाव बनाकर रविवार की बजाय शुक्रवार जुम्मा की साप्ताहिक छुट्टी घोषित करवा चुके हैं। स्कूलों के नाम के उर्दू में भी लिखे गए हैं। पिछले दिनों राज्य के गढ़वा में एक माध्यमिक विद्यालय में बिना हाथ जोड़े प्रार्थना किए जाने का मामला सुर्खियों में आया था। प्रिंसिपल का आरोप है कि स्थानीय लोगों के दबाव में यह सिलसिला पिछले 9 साल से चल रहा है। ग्रामीणों की जिद के आगे वह मजबूर होकर ऐसा करवा रहे हैं। उन्होंने स्थानीय प्रशासन से भी इसकी शिकायत की थी। मामला जब राज्य के शिक्षा मंत्री के पास पहुंचा तो उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी को जांच का आदेश दिया।