गुजरात सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए कमेटी का गठन कर दिया है। गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार करने का रास्ता साफ कर दिया है। राज्य सरकार ने यह फैसला विधानसभा चुनाव से पहले किया है। चुनाव आयोग ने अभी तक विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया है।
समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होने के लिए ‘एक देश एक नियम’ का आह्वान करता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 के भाग 4 में ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ शब्द का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है। अनुच्छेद 44 कहता है कि राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा।
यह कोड विवाह, तलाक, रखरखाव, विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे क्षेत्रों को कवर करता है। यूसीसी इस विचार पर आधारित है कि आधुनिक सभ्यता में धर्म और कानून के बीच कोई संबंध नहीं है। डॉ. बीआर आम्बेडकर ने संविधान का प्रारूप तैयार करते समय कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड वांछनीय है, लेकिन फिलहाल यह स्वैच्छिक रहना चाहिए और इस प्रकार संविधान के मसौदे के अनुच्छेद 35 को भाग 4 में राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों’ के एक भाग के रूप में जोड़ा गया था- भारतीय संविधान में अनुच्छेद 44 के रूप में।
