पेपरलीक आरोपियों पर लगातार रखी निगरानी

उदयपुर में 3 दिन पहले सीनियर टीचर भर्ती के लीक पेपर के मामले में लगातार खुलासे हो रहे हैं। इस गिरोह का भंडाफोड़ करने के लिए पुलिस को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। पुलिस को कभी शराबी तो कभी अभिभावक बनना पड़ा, ताकि गिरोह के लोगों को कोई शक न हो।

इस मामले में आरोपियों का होटल में कंट्रोल रूम होने के साथ ही गुजरात कनेक्शन भी सामने आया है। उनकी कार गुजरात के नम्बर की है, जो शनिवार रात पेपर लीक करते समय आरोपियों की बस को एस्कॉर्ट कर रही थी। बस सांचौर की होना सामने आया, जबकि उसे एस्कॉर्ट कर रही कार गुजरात के नम्बर की है। अभी तक पुलिस कार की नम्बर प्लेट फर्जी मान रही थी। कार गुजरात के बनासकाटा आरटीओ से रजिस्टर्ड है, जो गणपतलाल पुत्र भागीरथ विश्नोई के नाम है।

इस पूरे मामले में ये भी सामने आया है कि नकल गिरोह के लोग अभ्यर्थियों से मैसेज के जरिए संपर्क कर रहे थे। ऐनवक्त पर सभी को लोकेशन भेज सुखेर बुलाया गया। बस में बैठते ही सभी के मोबाइल स्विच ऑफ कर दिए। उनको रात 2 बजे पेपर दिए गए।

पुलिस जांच में तीन पेपर और आउट होने की आशंका है। 24 दिसंबर को साइंस की पहली पारी के पेपर के साथ पकड़े गए अभ्यर्थियों के पास कई प्रश्र ऐसे थे, जो पहले 21 दिसंबर को हुई सामाजिक विज्ञान, 22 दिसंबर की हिंदी व 23 दिसंबर को अंग्रेजी विषय की पहली पारी के प्रश्रों से करीब-करीब मैच हो रहे हैं। ऐसे में आशंका है कि गैंग ने लीक इन प्रश्रों को सीनियर टीचर भर्ती परीक्षा की 21, 22 व 23 दिसंबर को हुई पहली पारी में भी छात्रों को पढ़ाया।

शुक्रवार को जब पुलिस टीम को पता चल गया कि यह बस सुखेर में पेट्रोल पंप के पास खड़ी है तो टीम वहां पहुंच कर बस पर नजर रखने लगी। इस दौरान टीम के दो जवान बस के कुछ ही दूरी पर खड़े थे और अपने आप को अभिभावक जताते हुए बार-बार डमी फोन करके ऐसा जता रहे थे कि मानों उनका कोई रिश्तेदार परीक्षा देने के लिए उदयपुर आ रहा हो और वे उसका इंतजार कर रहे थे। इस तरह 2 पुलिसकर्मी आधे घंटे तक रहे और वे चले गए तो दूसरे आकर खड़े हो गए।

बस जब शुक्रवार रात 9 बजे रवाना हुई तो पुलिस टीम भी पीछे-पीछे चल पड़ी। जब बस गोगुन्दा में रुकी तो पीछा कर रही कार आगे निकल गई और दूसरी कार में पुलिस टीम इस रेस्टोरेंट पर रुकी और हाथ में गिलास लेकर शराब पीने का दिखावा करने लगे। ताकि गिरोह का कोई सदस्य उन्हें देखे भी तो उन्हें यह लगे कि कोई शराबी है। बड़ी बात यह रही कि एक बार जो टीम पीछा करती रही, वो कुछ किलोमीटर तक पीछा करने के बाद आगे निकल जाती और बाद में दूसरी टीम इस बस का पीछा करती, ताकि गिरोह को पता नहीं चले कि उनका पीछा किया जा रहा।

सबसे पहले बस करीब शाम 7:30 बजे भीलों का बेदला स्थित एक ढाबे पर रुकी। यहां छात्रों ने खाना खाया। सब लोग करीब डेढ़ घंटे तक रुके और फिर सभी बस में बैठे। पुलिस के पास 3 निजी वाहन थे। एक वाहन 300, दूसरा 500 मीटर और तीसरा एक किलोमीटर दूर चल रहा था। बस ज्यादा स्पीड में नहीं चल रही थी। रात 11.30 बजे बस सिरोही जिले की सीमा में प्रवेश कर गई। वहां हाईवे के एक ढाबे पर फिर से बस रुकी और सभी आरोपी बाहर निकले थे।

पुलिस के अनुसार अभ्यर्थी एक दिन पहले ही उदयपुर आ गए थे और वे अपने रिश्तेदारों के यहां या होटलों में रुके थे। सभी को रात 7 बजे मैसेज किया कि सुखेर पहुंचना है। मास्टरमाइंड आरोपी सुरेश ने बस ड्राइवर को एडमिट कार्ड देखकर ही बस में बैठाने को कहा था। एसपी ने बताया कि यदि असली पेपर से आरोपियों के पास मिला पेपर मैच नहीं होता तो सभी से परीक्षा दिलवाई जाती। इसके लिए आरोपी सभी अभ्यर्थियों को परीक्षा सेंटर के बाहर तक लेकर गए थे, ताकि मैच नहीं होने पर परीक्षा दिलवाई जा सके और किसी का नुकसान न हो, लेकिन जब पेपर ही मैच हो गया तो परीक्षा सेंटर के बाहर से ही छात्रों को वापस लेकर आ गए।

घटना का ये विवरण उदयपुर पुलिस ने 11 पन्नों की दर्ज एफआईआर में दिया है। आरोपियों से जब्त पेपर में कुल 339 प्रश्न थे। यह जीके पेपर से मिलान में 80 फीसदी प्रश्न वही निकले। प्रश्नों को अभ्यर्थियों से बस में सॉल्व कराया जा रहा था।

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