राजस्थान एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के भ्रष्टाचारी बाबुओं के फोटो और नाम नहीं उजागर करने के आदेश को लेकर राज्य सरकार में ही मतभेद उभर आए है। जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एसीबी डीजी ने आदेश जारी किया है। वहीं, खाद्य मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने इस आदेश का विरोध करते हुए कहा कि ऐसे आदेशों से सरकार के किए कराए पर पानी फिर जाएगा।
पाली में मीडिया से बातचीत में गहलोत ने कहा- कई मामले ऐसे होते हैं, जिसमें अफसर को झूठा फंसाया जाता है। उसे बदनामी का सामना नहीं करना पड़े, इसलिए ऐसा किया जा रहा है कि जब तक यह साबित न हो जाए कि उसने भ्रष्टाचार किया है, उसकी पहचान गुप्त रखी जाए। यह सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों का फैसला भी है।
इसके इतर राय रखते हुए मंत्री खाचरियावास ने कहा- मेरा यह मानना है कि डीजी ने एंटी करप्शन ब्यूरो का चार्ज लेते ही जो आदेश निकाला, वह रिजेक्ट होने वाला ही है। मैं उस आदेश से सहमत नहीं हूं। कोई भी कांग्रेस का विधायक, मंत्री इस तरह की कार्रवाई का समर्थन नहीं करेगा। उन्होंने सवाल किया कि क्या खुद मुख्यमंत्री गहलोत इस तरीके के डीजी के मान को मान सकते हैं?
खाचरियावास ने दावा किया कि सरकार इस तरह के आदेश के साथ नहीं है। यह बिल्कुल गलत है। हम कोई ऐसा काम नहीं करेंगे, जिससे हमारे पूरे किए हुए काम पर पानी फिर जाए। हमने कांग्रेस सरकार की नीयत आपको बता दी।
उधर, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इस आदेश पर राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा- भ्रष्टाचारियों की जगह जेल में होनी चाहिए। भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस होना चाहिए। देश का काननू भी यही कहता है। उन्होंने कहा कि जहां तक भ्रष्टाचारियों की पहचान छिपाने का सवाल है तो जब तक सजा दिलाने और जांच में सहयोग करने के लिए हो तो अलग बात है, इसके अलावा तो बिल्कुल नहीं छिपानी चाहिए। भ्रष्टाचारियों के चेहरे कानून और समाज के सामने आने चाहिए, उनकी पहचान बिल्कुल नहीं छिपानी चाहिए।
