कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण के लिए राज्य सरकार के राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट्स (कंट्रोल एंड रेगुलेशन) बिल-2023 को विधि विभाग ने मंजूरी दे दी है। अब इसे कैबिनेट की मंजूरी बाद विधानसभा के बजट सत्र में पेश किया जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार बिल में कड़े प्रावधान किए गए हैं। बिल के कानून बनने के बाद कोई भी कोचिंग संस्थान बिना सरकार की अनुमति के शुरू नहीं किया जा सकेगा। वर्तमान में चल रहे सभी कोचिंग संस्थानों को भी कानून लागू होने के तीन माह के भीतर रजिस्ट्रेशन करवाकर सर्टिफिकेट लेना होगा। ऑनलाइन कोचिंग के लिए भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। 50 छात्र वाले होम ट्यूशन सेंटर भी इसके दायरे में आएंगे। उनके लिए भी रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा।
किसी कोचिंग संस्थान की एक से ज्यादा ब्रांच होगी, तो उसे प्रत्येक ब्रांच का अलग-अलग रजिस्ट्रेशन कराना होगा। संस्थान को यह बताना होगा कि उसके यहां क्या सिलेबस पढ़ाया जाएगा? यह भी बताना होगा कि प्रत्येक सिलेबस में अधिकतम कितने छात्र होंगे और कौन सा सिलेबस कितनी अवधि में पूरा कराया जाएगा। कोई भी कोचिंग संस्थान रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में बताई गई जगह से दूसरी जगह कोचिंग को बिना सरकार की लिखित अनुमति शिफ्ट नहीं कर सकेगा।
सभी जिलों में अथॉरिटी का गठन होगा। जो भी व्यक्ति, सोसायटी या कंपनी कोचिंग संस्थान चलाना चाहता है, उसे निर्धारित फार्मेट में दस हजार रुपए रजिस्ट्रेशन फीस के साथ डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के यहां आवेदन करना होगा। यदि कोचिंग सेंटर सभी शर्तों को पूरा करेगा तो आवेदन के 30 दिन के अंदर डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी उसे सर्टिफिकेट जारी कर देगी।
किसी भी कोचिंग संस्थान के लिए रजिस्ट्रेशन की अवधि तीन वर्ष की रहेगी। डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी की ओर से समय-समय पर कोचिंग संस्थान का निरीक्षण करके यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निर्धारित शर्तों का पालन हो रहा है या नहीं। अगर किसी कोचिंग संस्थान के रजिस्ट्रेशन का आवेदन अथॉरिटी की ओर से खारिज कर दिया जाएगा, तब छह महीने के बाद ही नया आवेदन किया जा सकेगा।
कोचिंग संस्थानों के लिए यह जरूरी होगा कि उनके यहां जितने भी सिलेबस पढ़ाए जाएंगे, उनके बारे में प्रोस्पेक्टस के जरिए खुलासा हो। प्रोस्पेक्टस में किस सिलेबस की कितनी अवधि होगी और कितनी फीस होगी, यह भी सार्वजनिक करना होगा। प्रत्येक सिलेबस के बारे में यह बताना होगा कि उसके लिए कितने टीचर हैं और उस सिलेबस के लिए कितने ग्रुप डिस्कशन होंगे।
विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि कोचिंग संस्थानों का इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐसा हो, जिससे प्रत्येक छात्र के लिए न्यूनतम एक वर्ग मीटर क्षेत्र अनिवार्य रूप से उपलब्ध हो सके। छात्रों के लिए प्रत्येक कोचिंग संस्थान द्वारा पर्याप्त फर्नीचर (बेंच/डेस्क), पर्याप्त रोशनी, पीने का पानी, टॉयलेट, साफ-सफाई की सुविधा, अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था, तनाव प्रबंधन, परामर्शदाताओं की व्यवस्था जरूरी होगी।
एक बार कोचिंग में दाखिला लेने के बाद अगर कोई छात्र वहां से निकलना चाहे तो फीस वापसी की स्पष्ट नीति जरूरी होगी। कोचिंग संस्थान को ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि छात्र और उनके परिजनों की शिकायत का तत्काल हल हो सके। कोचिंग में चिकित्सा सहायता और उपचार की सुविधा भी उपलब्ध करानी होगी। कैंटीन की सुविधा और वाहनों के लिए पार्किंग की सुविधा अनिवार्य होगी।
इधर, अथॉरिटी जिला स्तर और ब्लॉक स्तर पर छात्रों और उनके माता-पिता की समस्याओं के निदान के लिए सेल गठित करेगी। कोचिंग सेंटर्स की तरफ से किए जाने वाले फर्जी विज्ञापन और परीक्षा में चयनित छात्रों के बारे में झूठे दावों पर अथॉरिटी कार्रवाई करेगी। अथॉरिटी स्वयं के स्तर पर या कोई शिकायत मिलने पर किसी भी कोचिंग संस्थान के किसी भी रिकॉर्ड की जांच कर सकेगी। कोचिंग संस्थान के प्रभारी या मालिक के लिए यह आवश्यक होगा कि वह निरीक्षण के दौरान सक्षम अधिकारी को मांगा गया रिकॉर्ड उपलब्ध कराए। अथॉरिटी यह भी तय करेगी कि कोचिंग संस्थानों में ऐसी कोई गतिविधि न हो, जिसकी वजह से छात्रों में किसी भी तरह का मानसिक तनाव हो।
कोई भी छात्र या माता-पिता अगर कोचिंग संस्थान के खिलाफ अथॉरिटी के पास शिकायत करेगा तो उसका 30 दिन के अंदर निस्तारण करना होगा। इसी तरह कोई कोचिंग इंस्टीट्यूट भी किसी छात्र या माता-पिता के खिलाफ अथॉरिटी के पास शिकायत करेगा तो उसका निस्तारण भी 30 दिन के भीतर करना होगा।
शिकायतों की जांच या तो खुद डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी करेगी या इसके लिए जांच कमेटी भी बना सकेगी। जांच कमेटी एडीएम की अध्यक्षता में होगी, जिसमें पुलिस उपाधीक्षक और माध्यमिक शिक्षा का जिला शिक्षा अधिकारी सदस्य होंगे। सरकारी पीजी कॉलेज का प्रिंसिपल इसका सदस्य सचिव होगा। दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर देने के बाद जांच कमेटी पेनल्टी, रजिस्ट्रेशन रद्द करने जैसी सिफारिश के साथ अपनी रिपोर्ट डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के चेयरमैन को सौंपेगी।
डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी के फैसले से असंतुष्ट होने पर कोचिंग संस्थान, स्टूडेंट या पेरेंट्स राज्य सरकार की अपीलेट अथॉरिटी में अपील कर सकेंगे। यह अपील 30 दिन के भीतर करनी होगी। अपीलेट अथॉरिटी में उच्च शिक्षा विभाग के सचिव चेयरमैन होंगे। इसमें डिप्टी सेक्रेटरी, पुलिस महानिदेशक या उनके नॉमिनी, कॉलेज शिक्षा कमिश्नर, उच्च शिक्षा विभाग के वित्तीय सलाहकार और राजस्थान विधि सेवा के अफसर सदस्य होंगे। उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव इसमें सस्य सचिव होंगे। इस अपीलेट अथॉरिटी को दोनों पक्षों की सुनवाई करके 45 दिन के अंदर अपना फैसला सुनाना होगा। अपीलेट अथॉरिटी का फैसला अंतिम होगा।
डिस्ट्रिक्ट अथॉरिटी का चेयरमैन कलेक्टर होगा। पुलिस अधीक्षक और स्थानीय निकाय के मुखिया इसके सदस्य होंगे। सरकारी पीजी कॉलेज के प्रिंसिपल को सदस्य सचिव और वित्तीय सलाहकार स्तर के अकाउंट्स अफसर को अथॉरिटी में सदस्य नियुक्त किया जाएगा।
(साभार—भास्कर)
